घाटी में इस साल 15 पाकिस्तानी समेत 62 आतंकी ढेर, सुरक्षा बलों ने छुपे दहशगर्दों को चुन-चुनकर मारा
जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में अब तक कश्मीर घाटी में करीब 62 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया.
श्रीनगर/नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को वर्ष 2022 में बड़ी कामयाबी मिली है. इन सुरक्षा बलों ने सीमा पार बैठे हुक्मरानों के इशारे पर जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में दहशगर्दी फैलाने वाले 15 पाकिस्तानी समेत करीब 62 को मुठभेड़ के दौरान ढेर किया है. ये आतंकी घाटी के जंगलों और बंकरों में छुपकर जम्मू-कश्मीर के विभिन्न सेक्टरों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. हालांकि, साल 2021 के मुकाबले इस साल कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए आतंकियों की संख्या में काफी उछाल आया है.
सुरक्षा बलों के मुठभेड़ में 15 पाकिस्तानी आतंकी भी ढेर
जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में अब तक कश्मीर घाटी में करीब 62 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया. हालांकि पिछले साल वर्ष 2021 के पहले चार महीनों में 37 आतंकवादियों को ढेर किया गया था. जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए 62 आतंकवादियों में से करीब 15 की पहचान पाकिस्तानी आतंकवादियों के तौर पर की गई है. वहीं, पिछले साल 2021 में पहले चार महीनों के दौरान एक भी पाकिस्तानी आतंकी नहीं मारा गया था.
सटीक खुफिया जानकारी का मिला लाभ
मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की ओर से इतने बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई में सटीक खुफिया जानकारी की भूमिका अहम है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस लगातार बेहतर खुफिया जानकारी दे रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि ये घाटी में अशांति फैलाने के लिए सीमा पार से अधिक दबाव का भी संकेत है. कश्मीर के आईजी विजय कुमार के अनुसार, ‘अच्छी खुफिया रिपोर्ट का फायदा यह हो रहा है कि आतंकवादियों के जिंदा बचने की दर में भारी कमी आ रही है. इस साल मारे गए 62 आतंकवादियों में से 32 आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के सिर्फ तीन महीने के भीतर मारे गए.’
पाकिस्तान ने दहशतगर्दी की बदली रणनीति
पुलिस सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा बलों के हाथों आतंकियों के ढेर होने के बाद पाकिस्तान ने अब अपनी रणनीति बदल ली है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से अब ड्रोन के जरिए छोटे हथियार भेजकर हमले कराए जा रहे हैं. इसमें आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में इन लोगों को पकड़ना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि ये सारे लोग फुलटाइम आतंकवादी नहीं होते हैं. ये अपने मिशन को अंजाम देने के बाद हथियार हैंडलर को वापस कर देते हैं.’
सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ पर सुरक्षा बलों की होगी पैनी नजर
इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर में अब सीमा पार से आतंकियों को घुसपैठ करना आसान नहीं होगा. इसका कारण यह है कि विहान नेटवर्क्स लिमिटेड (वीएनएल) ने वायरलेस निगरानी सिस्टम पेरिमीटर इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (पीआईडीएस) को डेवलप किया है, जिससे सुरक्षा बलों के जवान दूर बैठे ही रियल टाइम में आतंकवादियों की घुसपैठ पर पैनी नजर रख सकेंगे. घाटी में लगभग तीन दशक पहले पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की शुरुआत के बाद जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशों ने सुरक्षाबलों के सामने हमेशा चुनौती पेश की है.
नई प्रणाली में टोही उपकरण मौजूद
वीएनएल का दावा है कि आतंकवादी घुसपैठ के खतरे को ध्यान में रखते हुए कंपनी एक वायरलेस घुसपैठ निगरानी प्रणाली लेकर आई है. वीएनएल भारत की प्रमुख और एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसने वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए एंड-टू-एंड जीएसएम, एलटीई और ब्रॉडबैंड नेटवर्क प्रणालियों की विस्तृत सीरीज तैयार करने में कामयाबी हासिल की है. इस प्रणाली में खुफिया, निगरानी और टोही उपकरण मौजूद हैं.