Seemapuri Vidhan Sabha: आम आदमी पार्टी के उभार में अहम रहा है यह विधानसभा क्षेत्र

सीमापुरी की गलियों में काम कर अरविंद केजरीवाल ने अपनी पहचान बनायी और दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए. दिल्ली की आरक्षित सीट में शामिल सीमापुरी कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. लेकिन वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी के उभार के बाद कांग्रेस का यह गढ़ आम आदमी पार्टी का मजबूत किला बन गया.

By Anjani Kumar Singh | January 27, 2025 7:24 PM

Seemapuri Vidhan Sabha: दिल्ली का सीमापुरी विधानसभा क्षेत्र आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की कर्मभूमि रहा है. सीमापुरी की गलियों में काम कर अरविंद केजरीवाल ने अपनी पहचान बनायी और दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए. दिल्ली की आरक्षित सीट में शामिल सीमापुरी कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. लेकिन वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी के उभार के बाद कांग्रेस का यह गढ़ आम आदमी पार्टी का मजबूत किला बन गया. पिछले तीन टर्म से आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव जीत रहा है. लेकिन इस बार सीमापुरी विधानसभा क्षेत्र का मुकाबला काफी रोचक हो गया है.

कभी कांग्रेस के विधायक रहे वीर सिंह धींगान पर आप कार्यकर्ता संतोष कोली की हत्या का आरोप लगाने वाली आम आदमी पार्टी ने इस बार उन्हें ही उम्मीदवार बनाया है. संतोष कोली का मामला तब काफी उछला था और वह आम आदमी के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं. वर्षों तक जिस व्यक्ति पर आप के कार्यकर्ता के हत्या का आरोप लगता रहा है, उसी को इस बार आप की ओर से टिकट दिया जाना आप के कार्यकर्ताओं को निराश किया है. वहीं कांग्रेस की ओर से राजेश लिलोठिया मैदान में हैं. सांझ, सवेरे आधी रात , राजेश लिलोठिया आपके साथ के नारे और क्षेत्र में लिलोठिया की मौजूदगी देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस सिर्फ वोट काटने के लिए चुनावी मैदान में उतरा है. राजेश लिलोठिया ने जिस तरह से महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है, उसका लोगों के ऊपर असर पड़ता दिख रहा है.

वहीं भाजपा ने रिंकू कुमारी को मैदान में उतारा है. रिंकू कुमारी पूर्व में कांग्रेस से पार्षद रह चुकी है. वह महिला है और महिलाओं के मुद्दे को बखूबी उठा रही है. घर-घर जाकर खासकर महिलाओं से मिलती है और उन्हें उनके अधिकार के विषय में बताती है. वह यह बताते नहीं थकती कि आप के बहाने अब नहीं चलेंगे. क्षेत्र में बदलाव चाहिए. खास बात यह है कि तीनों प्रत्याशी कांग्रेस के ही है. और एक दूसरे के मजबूती और कमजोरी से सब कोई वाकिफ है.

त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

सीमापुरी विधानसभा में नंद नगरी, जीटीबी एनक्लेव, सुंदर नगरी, दिलशाद कॉलोनी, दिलशाद गार्डन, खेड़ा गांव, जगतपुरी एक्सटेंशन, जीटीबी हॉस्पिटल परिसर, जनता फ्लैट, जीटीबी एनक्लेव, ताहिरपुर गांव, नयी सीमापुरी, आनंद ग्राम और गांधी ग्राम (कुष्ठ आश्रम) सहित कई अन्य कॉलोनियां आती है. इलाके में झुग्गियों की संख्या भी काफी है. पिछली बार आम आदमी पार्टी के टिकट पर राजेंद्र पाल गौतम चुनाव जीते थे. लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए. इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है. खास बात है कि इस बार तीन प्रमुख उम्मीदवारों को कांग्रेस से नाता रहा है. आप को सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस उम्मीदवार से हो रहा है. क्योंकि मुस्लिम और दलित वोटों का बंटवारा होता है, तो भाजपा के लिए यह सीट आसान हो सकती है. भाजपा की ओर से जिस तरह से इलाके में एक खास वर्ग को संतुष्ट करने का आरोप लगाया जा रहा है, उससे अन्य वर्गों में भी नाराजगी दिख रही है.


बुनियादी मुद्दे हैं हावी


सीमापुरी विधानसभा में मुख्य रूप से सीमापुरी, सुंदर नगरी और नंद नगरी जैसी पुनर्वास कॉलोनियों के अलावा झुग्गी बस्तियां भी हैं. यह इलाका उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा है. सीमापुरी में मुख्य सड़कों से लेकर गलियों में अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है. अतिक्रमण के कारण ट्रैफिक जाम होता है और सड़कों की स्थिति काफी खराब है. इस इलाके में अवैध बांग्लादेशियों की संख्या भी काफी है. साथ ही नशीले पदार्थ की बिक्री, पानी की समस्या, नये राशन कार्ड नहीं बन पाना, अपराध और साफ-सफाई की कमी साफ तौर पर देखी जा सकती है. यह एक आरक्षित सीट है और यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं के अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है.

स्थानीय लोगों के अपने-अपने दावे


 स्थानीय निवासी राजकुमार जाटव का कहना है कि इस क्षेत्र के विकास की अनदेखी की गयी है. लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. सबसे बड़ी समस्या पानी, साफ-सफाई और अपराध की है. देर शाम के बाद महिलाओं का अकेले चलना मुश्किल है. मौजूदा सरकार की योजनाओं से इलाके के लोग वंचित हैं. वहीं मोहम्मद इरशाद ने कहा कि विकास के काम उम्मीद के मुताबिक नहीं हुए, लेकिन मौजूदा सरकार ने लोगों के हित में कई कदम उठाए है. लोगों को अच्छी शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है. लेकिन इलाके के विकास के लिए अभी काफी कुछ करने की जरूरत है. स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि इस बार मुकाबला काफी नजदीकी होने की संभावना है. आम आदमी पार्टी को चौथी बार जीत हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी क्योंकि कुछ लोग आप सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं. 

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