पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम का 95 साल की उम्र में निधन, ब्रेन स्ट्रॉक के बाद एम्स में कराए गए थे भर्ती
पंडित सुखराम शर्मा वर्ष 1993-1996 के बीच केंद्रीय सूचना एवं दूरसंचार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे थे. वह हिमाचल प्रदेश की मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद थे. अपने राजनीतिक जीवन में सुखराम पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीते.
नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व दूरसंचार मंत्री पंडित सुखराम का मंगलवार की देर रात को निधन हो गया. पंडित सुखराम के बेटे अनिल शर्मा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि पंडित सुखराम ने 95 साल की उम्र में अंतिम सांसें लीं. पिछली चार मई को ब्रेन स्ट्रॉक होने के बाद उन्हें दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था. इससे पहले उन्हें हिमाचल प्रदेश की मंडी स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उन्हें एयरलिफ्ट करके दिल्ली स्थित एम्स लाया गया था. वहीं, पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने अपने फेसबुक पोस्ट में भी इस बात की जानकारी दी है. आश्रय शर्मा ने मंगलवार रात को लिखा, ‘अलविदा दादाजी, अब नहीं बजेगी फोन की घंटी.’
1993-1996 के बीच केंद्र में थे मंत्री
बताते चलें कि पंडित सुखराम शर्मा वर्ष 1993-1996 के बीच केंद्रीय सूचना एवं दूरसंचार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे थे. वह हिमाचल प्रदेश की मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद थे. अपने राजनीतिक जीवन में सुखराम पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीते. अब सुखराम के बेटे अनिल शर्मा मंडी से भाजपा के विधायक हैं. साल 2011 में उनको पांच साल की सजा भी हुई थी. उनपर 1996 में संचार मंत्री रहते भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
दूरसंचार घोटाला में नाम आने के बाद कांग्रेस से किया गया था निष्कासित
बता दें कि वर्ष 1993 में सुखराम जब मंडी लोकसभा से सांसद थे, तब उनके बेटे इसी सीट से विधानसभा चुनाव जीते थे. लेकिन फिर 1996 में अनिल शर्मा को कांग्रेस से निकाल दिया गया था क्योंकि उनका नाम टेलिकॉम घोटाले में आया था. फिर अनिल ने हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी बनाई थी.
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2019 में सुखराम में दोबारा थामा था कांग्रेस का दामन
पार्टी ने भाजपा से गठबंधन किया था और सरकार में भी शामिल हुई थी. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सुखराम ने अपने बेटे अनिल शर्मा और पोते आश्रय शर्मा के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली थी, लेकिन फिर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सुखराम और आश्रय ने दोबारा कांग्रेस का दामन थामा था. आश्रय ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह जीत नहीं सके थे.