देश से देर से लौटेगा मानसून, La Nina के कारण सितंबर में होगी सबसे अधिक बारिश, दक्षिण भारत में बढ़ेगी ठंड

September weather forecast 2020, la nina effect on india : देश में इस बार मानसून पहले से ही अधिक प्रभाव डाल रहा है. अब मौसम वैज्ञानिकों ने एक और चेतावनी जारी की है. जो लोग इस भ्रम में थे कि मानसून का प्रभाव सितंबर में पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा, उनके लिए बुरी खबर है. दरअसल, अमेरिकी मौसम विभाग की मानें तो इस बार मानसून का सबसे अधिक सितंबर माह में ही रहेगा. मतलब देश से मानसून को वापस लौटने में अभी और देर लग सकती है. इसके लिए ला नीना को जिम्मेदार बताया जा रहा है. आइये जानते हैं क्या है ये बला...

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 24, 2020 1:10 PM
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September weather forecast 2020, la nina effect on india : देश में इस बार मानसून पहले से ही अधिक प्रभाव डाल रहा है. अब मौसम वैज्ञानिकों ने एक और चेतावनी जारी की है. जो लोग इस भ्रम में थे कि मानसून का प्रभाव सितंबर में पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा, उनके लिए बुरी खबर है. दरअसल, अमेरिकी मौसम विभाग की मानें तो इस बार मानसून का सबसे अधिक सितंबर माह में ही रहेगा. मतलब देश से मानसून को वापस लौटने में अभी और देर लग सकती है. इसके लिए ला नीना को जिम्मेदार बताया जा रहा है. आइये जानते हैं क्या है ये बला…

दरअसल, अमेरिकी मौसम विभाग ने यह खुलासा किया है कि प्रशांत महासागर में सितंबर-अक्टूबर 2020 से ला-नीना का असर दिखेगा. जिसके कारण भारत में मानसून का प्रभाव कुछ और दिनों तक और दिखेगा. विभाग की मानें तो सितंबर में बारिश गतिविधियां भी काफी हद तक बढ़ सकती है. यही नहीं इसके प्रभाव से देश के दक्षिणी हिस्सों में ठंड भी बढ़ सकती है.

क्या है एल-नीनो व ला-नीना

आपको बता दें कि एल-नीनो व ला-नीना हवा के विषमता के कारण सतह के तापमान बदलने से पैदा होती हैं. ला-नीना में हवाएं बहुत मजबूत हो जाती हैं. और इस दौरान ठंड का एहसास होता है. जबकि, एल-नीनो में हवाएं काफी कमजोर हो जाती हैं. जिससे वातावरण में गर्माहट का एहसास होने लगता है. दोनों स्थितियों में मौसम का प्रभावित होना तय है.

एल-नीनो और ला-नीना कैसे प्रभावित सकता है भारत को

दरअसल, एल-नीनो के दौरान मध्य व भूमध्यीय प्रशांत सागर गर्म होने लगता है. अमेरिकी मौसम विभाग ने इसी की भविष्यवाणी की है. जिसके अनुसार हवा का पैटर्न बदल जाएगा और यह अफ्रीका से लेकर भारत और अमेरिका तक की जलवायु को प्रभावित करेगा.

एल-नीनो से भारत को कई मामलों में खतरा : एल-नीनो भारत के लिए कई मामलों में खतरनाक है. पहला तो यह जलवायु में अनियमितता उत्पन्न करता है. जिससे मौसम चक्र बदल सकता है. दूसरा इसके प्रभाव से सूखा पड़ने तक की संभावनाएं बढ़ जाती है.

ला-नीना से भारत को इन मामलों में खतरा : वहीं, ला-नीना की स्थिति उत्पन्न होने से अगस्त व सितंबर में भारी बारिश की प्रबल संभावना बन रही है. इससे भारत में ज्यादा बारिश हो सकती है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ने की प्रबल संभावना है,

कब आता है एल-नीनो या ला-नीना

विशेषज्ञों की मानें तो एल-नीनो या ला-नीना 9 से 12 महीने तक रहता है. इनकी आवृति दो से सात साल है. अमेरिकी विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मध्य भारत व पश्चिमी तटों पर अभी तक जो बारिश आयी है वे कुछ भी नहीं है. ला-नीना की स्थिति उत्पन्न हो रही है. इससे अगस्त के बचे हुए दिन व सितंबर में भारी से अति भारी वर्षा देखने को मिल सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार ला-नीना के कारण ही भारत के दक्षिणी हिस्सों के पहाड़ी इलाकों में सर्द हवाएं चलेंगी. ऐसा पहले भी हो चुका है.

इस भारतीय मौसम विभाग पुणे के वैज्ञानिक ने कहा है कि ला-नीना की संभावना देश में पहले ही बता दी गई थी. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार सितंबर में उत्तरार्ध के हिस्सों में 104 प्रतिशत से अधिक वर्षा होने की संभावना है.

ला-नीना का भारत पर प्रभाव

– मानसून को तो करेगा ही प्रभावित

– भारत की सर्दियां भी होंगी प्रभावित,

– बाढ़ का बन सकता है खतरा, पहले से ही कुछ क्षेत्र और नदियां ऐसी है जो खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं,

– भारत के दक्षिण हिस्सों के पहाड़ी इलाकों में पाला पड़ने की संभावना हो सकती है.

Posted By : Sumit Kumar Verma

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