भारतीय सेना के रडार में चीन के 7 सैन्य एयरबेस, LAC पर फिर दिखी ड्रैगन की हलचल
LAC China, Ladakh, india china border dispute, लद्दाख में भारत और चीन के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक और दोनों देशों के बीच शांति को लेकर कई दौर की बैठक हो चुकी है. दूसरी ओर LAC पर ड्रैगन अपनी गंदी चाल चलने से बाज नहीं आ रहा है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 7 चीनी मिलिटरी एयरबेस में हलचल बढ़ गयी है. जिस पर भारतीय एजेंसियों की पैनी नजर है.
नयी दिल्ली : लद्दाख में भारत और चीन के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक और दोनों देशों के बीच शांति को लेकर कई दौर की बैठक हो चुकी है. दूसरी ओर LAC पर ड्रैगन अपनी गंदी चाल चलने से बाज नहीं आ रहा है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 7 चीनी मिलिटरी एयरबेस में हलचल बढ़ गयी है. जिस पर भारतीय एजेंसियों की पैनी नजर है.
एएनआई के अनुसार भारतीय एजेंसियों के सूत्रों ने बताया, भारत चीन के शिनजियांग प्रांपत और तिब्बत क्षेत्र में स्थित PLAAF के होटन, गार गुंसा, काशगर, होप्पिंग, कोंका जोंग, लिंजी और पंगट एयरबेसों पर कड़ी नजर बनाए हुए है.
एएनआई के अनुसार लिंजी एयरबेस भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से सटा है और वह हेलिकॉप्टर बेस है. हाल ही में चीन की एयर फोर्स ने कुछ एयर बेसों को अपग्रेड किया है. इसके अलावा अतिरिक्त जवानों की तैनाती भी किया है.
गौरतलब है कि तनाव कम करने को लेकर राजनयिक बातचीत के बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की बातचीत दो अगस्त को थी, जिसका उद्देश्य सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को तेज करना था. सैन्य सूत्रों के मुताबिक हालांकि, पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रकिया आगे नहीं बढ़ी, जबकि भारत को इसकी उम्मीद थी. उन्होंने बताया कि सैन्य स्तर की बातचीत में भारतीय पक्ष ने यथाशीघ्र चीनी सैनिकों को पूरी तरह से वापस बुलाने और पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों में पांच मई से पहले की स्थिति बहाल करने पर भी जोर दिया था. पांच मई को पैंगोंग सो में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद गतिरोध शुरू हुआ था.
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सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट गये, लेकिन उनके (चीन के) सैनिकों को वापस बुलाये जाने की प्रक्रिया पैंगोंग सो, डेपसांग और कुछ अन्य इलाकों में मध्य जुलाई से आगे नहीं बढ़ी. सैनिकों को पीछे हटाने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी.
इसके एक दिन पहले इलाके में तनाव घटाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत हुई थी. दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं, ऐसे में भारतीय थल सेना सर्दियों के मौसम में पूर्वी लद्दाख में सभी प्रमुख इलाकों में सैनिकों की मौजूदा संख्या कायम रखने की व्यापक तैयारी कर रही है.
सूत्रों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एलएसी पर अग्रिम मोर्चे पर अभियान की निगरानी कर रहे सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों से पहले ही कहा है कि वे अत्यधिक सतर्कता बरतें और किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिये आक्रामक रुख कायम रखें.
उन्होंने बताया कि थल सेना ढेर सारे हथियार, गोलाबारूद तथा अग्रिम मोर्चे के सैनिकों के लिये सर्दियों के पोशाक खरीदने की प्रक्रिया में भी जुटी हुई है. एलएसी पर कुछ इलाकों के ऊंचाई वाले स्थानों पर सर्दियों के महीने में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है.
गौरतलब है कि 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कई गुना बढ़ गया. इस झड़प में भारत के 20 सैन्य कर्मी शहीद हो गये. चीन की ओर से भी सैनिक हताहत हुए थे लेकिन उसने इसकी कोई घोषणा नहीं की. हालांकि, एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इसमें चीन के 35 सैन्य कर्मी हताहत हुए थे. गलवान घटना के बाद वायुसेना ने भी कई प्रमुख अड्डों पर वायु रक्षा प्रणाली और लड़ाकू विमान तैनात किये हैं.
Posted By – Arbind Kumar Mishra