उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में रहने वाली शबनम (Shabnam) की चर्चा आज पूरे देश के कोने-कोने में हो रही है. अपने पूरे परिवार की हत्या करने वाली शबनम को फांसी की सजा सुनायी गयी है. वही मथुरा जेल में उन्हें फांसी देने की तैयारियां भी चल रही है, हालांकि अभी शबनम का डेथ वॉरंट अभी नहीं आया है. आजाद भारत में वह पहली महिला होंगी जिन्हें फांसी की सजा दी जाएगी. इस बीच शबनम के बेटे के कस्टोडियन उस्मान सैफी एक इंटरव्यू में शबनम के कॉलेज के दिनों के कई किस्से बताये.
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में शबनम के बेटे के कस्टोडियन और उनपर एक किताब लिख रहे उस्मान सैफी ने उनके कई किस्से सुनाए. उस्मान सैफी ने अपने कॉलेज के दिनों के भी कई किस्से बताये. उस्मान सैफी का कहना है कि वारदात के वक्त कुछ भी हालात रहे हों, लेकिन शबनम कॉलेज के दिनों में सबके लिए मददगार साबित होती थी. वह सबकी मदद करती थी. सैफी ने बताया कि शबनम एक अच्छे परिवार से आती थी जिसके कारण उनके पास जो भी मदद के लिए जाता था वह किसी को ना नहीं करती थीं.
उस्मान सैफी ने अपने दिये गये इंटरव्यू में कहा कि शबनम ने मेरी भी मदद की थी. उसका अहसान मुझ पर है और उसका कर्ज उतारने के लिए ही मैं उसके बेटे का कस्टोडियन बना. उन्होंने आगे बताया कि हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़े थे. वह मुझसे दो साल सीनीयर थीं, मेरे पास कॉलेज के फिस भरने के पैसे नहीं थे जिसके कारण मैंने उनसे मदद मांगी और शबनम ने बिना सोचे मेरी फीस भर दी. अगर वह नहीं होती तो मैं कॉलेज में नहीं पढ़ पाता.
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी के रहने वाली शबनम शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी थी. शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल में एमए किया है. सलीम जो पेशे से मजदूरी का काम करता था उसके साथ शबनम का संबध थे जिसके कारण परिवार वालों में काफी नाराजगी थी. ऐसे में शबनम ने बड़ा फैसला लिया और 14 अप्रैल, 2008 की रात अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने माता-पिता और 10 माह के भतीजे समेत परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी थी.