Sharad Pawar Birthday: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार 12 दिसंबर 2024 को पूरे 84 साल हो गए हैं. उनके जीवन में कई सुख और दुख के पल आए होंगे, लेकिन एक ऐसा पल भी आया जिसने उनके राजनीतिक जीवन को मोड़ दिया. इस बात का जिक्र शरद पवार की जीवनी “शरद पवारः अपनी शर्तों पर” में की गई है. इसमें बताया गया है कि कैसे उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई.
जब सोनिया गांधी ने शरद पवार से कहा- अपनी लिस्ट वापस ले लें
राजकमल प्रकाशन के इस किताब में लिखा गया है कि बारहवीं लोकसभा के चुनाव सम्पन्न होने के बाद ही कांग्रेस के मोर्चे पर काफी चीजें ऐसी होने लगी जो सही नहीं थी. पवार और सोनिया गांधी के बीच पहले से ही काफी खटास थी. वह कांग्रेस अध्यक्ष थीं और पवार लोकसभा में पार्टी के नेता थे. पवार ने संसदीय कमेटी के गठन के लिए सोनिया गांधी के साथ विस्तार से चर्चा की और उनकी स्वीकृति ली. लिस्ट लोकसभा के स्पीकर के पास भेजी गई. दूसरे दिन स्पीकर जी.एम.सी. बालयोगी ने उन्हें बुलाया और कहा- मेरे सामने एक समस्या है. आपकी पार्टी की ओर से मेरे सामने दो लिस्ट हैं. कांग्रेस के मुख्य निर्देशक पी.जे. कूरियन ने मुझे एक और लिस्ट भेजी. इन दोनों लिस्टों में नाम अलग-अलग है.
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लोकसभा में कांग्रेस पार्टी का संसदीय नेता होने के नाते कमेटी के सदस्यों की लिस्ट स्पीकर को प्रस्तुत करना शरद पवार का अधिकार था. इसके बाद भी एक अन्य लिस्ट जारी की गई. दूसरी लिस्ट की फोटोकॉपी प्राप्त करने के बाद पवार कूरियन से इसके विषय में जानने के लिए पहुंचे. बातचीत के क्रम में पता चला कि कांग्रेस अध्यक्ष के निर्देशानुसार दूसरी लिस्ट तैयार की गई थी. कूरियन के कहने पर पवार ने सोनिया से मुलाकात की. बातचीत के क्रम में सोनिया ने पवार से कहा कि आप अपनी लिस्ट वापस ले लें.
सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा
किताब में जिक्र है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 15 मई, 1999 को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाई. इसमें उनके विदेशी मूल का मुद्दा उठा. बैठक में अर्जुन सिंह, ए.के. एंटनी, गुलामनबी आजाद और अम्बिका सोनी ने वफादारी से भरे अपने वक्तव्य दिये. लेकिन पी.ए. संगमा के सुर अलग थे. संगमा का साथ शरद पवार और तारिक अनवर ने दिया. इसके बाद कई दिनों तक इनके खिलाफ साजिश रची गई. अंतत: पार्टी से 6-6 वर्ष के लिए तीनों को निलंबित कर दिया गया. इसके बाद कुछ बड़े नेता इस तीकड़ी के साथ आए और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया गया.