शरद पवार की टिप्पणी से विपक्षी एकजुटता की कवायद पर लगा सवालिया निशान
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के मकसद से ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पिछले कुछ दिनों के भीतर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) द्वारा इंडस्ट्रियलिस्ट गौतम अदाणी (Gautam Adani) का खुलकर समर्थन किए जाने के बाद अगले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की पूरी कवायद को लेकर प्रश्नचिन्ह लग गया है. पवार ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में अदाणी समूह का बचाव किया है और हिंडनबर्ग रिसर्च को लेकर कहा है कि भारतीय कारोबारी समूह को निशाना बनाया गया है. उनका यह बयान उस वक्त आया है कि जब करीब 20 विपक्षी दल अदाणी समूह के मामले को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर थे और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की गठन की मांग कर रहे थे.
उद्धव ठाकरे से फोन पर की बात
यही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के मकसद से ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पिछले कुछ दिनों के भीतर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की है. राकांपा दूसरा ऐसा विपक्षी दल है जो अदाणी मामले पर जेपीसी की जगह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली जांच की पैरवी कर रहा है. इससे पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी ऐसी मांग की थी. दूसरी तरफ, कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि जेपीसी जांच से ही इस मामले की सच्चाई सामने आ सकती है क्योंकि यह विषय सरकार से भी संबंधित है.
पूरा विपक्ष एकजुट है और संसद के हालिया बजट सत्र में यह दिखाई दिया
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि पवार के बयान से विपक्षी एकजुटता पर कोई असर होगा. उन्होंने कहा- पूरा विपक्ष एकजुट है और संसद के हालिया बजट सत्र में यह दिखाई दिया. इसलिए सरकार परेशान है और इंटरनेट माध्यम को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है. पवार की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने कहा- बहुत सारे लोग अलग अलग तरह की बातें कर रहे हैं. हमें यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है. उन्होंने कहा- जहां तक वाम दलों का संबंध है, तो हमारा यह मानना है कि भाजपा को पराजित करने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को साथ आना चाहिए.
पवार ने कोई क्लीनचिट नहीं दी
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत का कहना है कि पवार ने कोई क्लीनचिट नहीं दी है, बल्कि इस बात पर अपनी राय प्रकट की है कि जांच कैसे की जाए. राउत ने कहा कि विपक्ष जेपीसी जांच की अपनी मांग पर अडिग है. उन्होंने कहा- चाहे (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी हों या राकांपा, अदाणी के बारे में उनके बीच भिन्न-भिन्न राय हो सकती है, लेकिन उससे महाराष्ट्र या देश में (विपक्षी) एकता में दरार नहीं आयेगी. नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर भाजपा के खिलाफ चुनाव जीतना है तो विपक्षी दलों को एकजुट होना पड़ेगा. उन्होंने कहा- मैं देख सकता हूं कि विपक्षी एकजुटता को लेकर अच्छे नतीजे आ रहे हैं.