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Congress president poll: शशि थरूर का दावा, 19 अक्टूबर को हैरान रह जाएंगे एकतरफा जीत की उम्मीद करने वाले

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए आगामी 17 अक्टूबर को मतदान होगा और 19 अक्टूबर को मतगणना होगी. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर इसके उम्मीदवार हैं. खड़गे की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने मंगलवार को एक साक्षात्कार के दौरान दावा किया है कि डेलीगेट्स (निर्वाचक मंडल के सदस्य) को उनके नेताओं ने इस बात के लिए निर्देश दिया है कि वे उनके प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन करें. थरूर ने अपने दावे में कहा कि लेकिन, डेलीगेट्स के जिन सदस्यों को उनके नेताओं द्वारा निर्देश मिला है, वे गुप्त मतदान के दौरान वे उनके ही पक्ष में मतदान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग इस चुनाव में 1997 और 2000 के चुनावों की तरह ‘प्रतिष्ठान’ के लिए एकतरफा जीत की उम्मीद कर रहे हैं, वे 19 अक्टूबर को मतगणना होने पर हैरान रह जाएंगे.

मधुसूदन मिस्त्री से मांगा स्पष्टीकरण

तिरुवनंतपुरम से सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने कहा कि वह केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री से यह सार्वजनिक स्पष्टीकरण की उम्मीद करते हैं कि चुनाव गुप्त मतदान के जरिये होगा, दिल्ली में उम्मीदवारों एवं उनके एजेंट के समक्ष सीलबंद मतपेटियां खोली जाएंगी और मतगणना आरंभ होने से पहले ही सभी मतपत्रों को मिला लिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि मधुसूदन मिस्त्री आने वाले दिनों में इस पर स्पष्टीकरण दें.’

भले ही खुलकर नहीं कर रहे समर्थन, लेकिन वोट मुझे ही मिलेगा

बता दें कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए आगामी 17 अक्टूबर को मतदान होगा और 19 अक्टूबर को मतगणना होगी. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर इसके उम्मीदवार हैं. खड़गे की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ ऐसे नेता हैं, जो वरिष्ठ नेताओं के नाराज होने की आशंका चलते उनका खुलकर समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए वोट कर सकते हैं. इस सवाल के जवाब में शशि थरूर ने कहा कि मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं, जिन्होंने कई कारणों के चलते खुलकर मेरा समर्थन नहीं किया है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से अपना समर्थन जताया है.

कुछ नेताओं ने डेलीगेट्स को दिया निर्देश

शशि थरूर ने दावा किया कि उनके (समर्थन करने वाले डेलीगेट) कुछ नेताओं ने उन्हें निर्देश दिया है कि वे मेरे प्रतिद्वंद्वी का समर्थन करें तथा उन्हें लगता है कि वे अपने नेताओं की खुलकर अहवेलना नहीं कर सकते. ऐसे बहुत सारे लोग आखिर में मेरे लिए वोट कर सकते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 66 साल के थरूर ने कहा कि बहुत सारे डेलीगेट ने निजी रूप से अपनी भावनाएं प्रकट की हैं और उन्हें कोई कारण नहीं नजर आता कि वोट के गुप्त होने के बावजूद वे उनका साथ नहीं दें.

डर की वजह से खुलकर नहीं मिल रहा समर्थन

उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि ऐसे बहुत सारे लोगों के डर को खत्म करने के लिए गोपनीय मतदान महत्वपूर्ण है, जो अब भी यह मानकर चल रहे हैं कि उनके राजनीतिक संरक्षक यह पता कर लेंगे कि उन्होंने किसे वोट दिया है. मेरे अलाकमान ने विश्वास दिलाया था कि कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है. ऐसे में मेरे साथियों को मुझे वोट देने में डरना क्यों चाहिए?’. उनका कहना था कि जो लोग इस चुनाव में 1997 और 2000 की तरह एकतरफा जीत की उम्मीद कर रहे हैं, वे 19 अक्टूबर को हैरान होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि मैं चुनाव नतीजे को झटके और व्यक्तिगत जीत के रूप में नहीं देखूंगा, क्योंकि मैं पहले ही कह चुका हूं कि चाहे मैं जीतूं या खड़गे जी जीतें, सिर्फ यह मायने रखता है कि कांग्रेस जीते.’

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1997 में सीताराम केसरी ने पवार-पायलट को दी थी पटखनी

गौरतलब है कि वर्ष 1997 में हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में सीताराम केसरी ने त्रिकोणीय मुकाबले में शरद पवार और राजेश पायलट को पराजित किया था, तो 2000 के चुनाव में सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को बुरी तरह मात दी थी. यह पूछे जाने पर कि पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता खड़गे के साथ खड़े नजर आ रहे हैं, तो शशि थरूर ने कहा कि गांधी परिवार ने मधुसूदन मिस्त्री को अधिकृत किया है कि वे उम्मीदवारों को गुप्त मतदान के बारे में विश्वास दिलाएं तथा सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा करें, जैसा उन्होंने बार-बार किया भी है, इसके विपरीत कुछ भी करना गलत होगा.

नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरी आजादी

शशि थरूर के अनुसार, नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरी आजादी है कि उनकी अपनी प्राथमिकता हो…कुछ पदाधिकारियों द्वारा दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन किए जाने का मामला मैं केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण और मीडिया पर छोड़ता हूं. खड़गे के साथ बहस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मैं उनसे सहमत हूं कि हमारा असली मतभेद एक-दूसरे के साथ नहीं, भाजपा के साथ है. मैं यह कहता आ रहा हूं कि यह प्रतिद्वंद्वियों के बीच मुकाबला नहीं, बल्कि सहयोगियों के बीच दोस्ताना मुकाबला है, जिनके पास पार्टी को आगे ले जाने का अलग-अलग नजरिया है. थरूर ने कहा कि बहस के विचार से उन्होंने सिर्फ इसलिए सहमति जताई थी कि इसके जरिये वे लोग पार्टी के भविष्य के संदर्भ में उम्मीदवारों के नजरिये के बारे में जान सकें, जो इसमें दिलचस्पी रखते हैं.

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