शेख हसीना प्रत्यर्पण विवाद, क्या भारत ने बांग्लादेश के अनुरोध को गंभीरता से नहीं लिया?

Sheikh Hasina Extradition Controversy: प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पक्षों को कानूनी और कूटनीतिक कर्तव्यों का पालन करना होता है.

By Aman Kumar Pandey | January 3, 2025 7:41 AM

Sheikh Hasina Extradition Controversy: बांग्लादेश ने भारत से अपने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, भारत इस पर प्रतिक्रिया देने के मूड में नहीं है. बांग्लादेश ने यह अनुरोध 23 दिसंबर को दिल्ली स्थित उच्चायोग के माध्यम से किया था, जिसमें विदेश मंत्रालय को एक नोट भेजा गया था. हालांकि, इस नोट पर किसी के हस्ताक्षर नहीं थे, जिसे कूटनीतिक संवाद के निम्न स्तर का संकेत माना जा रहा है. आमतौर पर प्रत्यर्पण जैसे संवेदनशील मामलों के लिए इस तरह की प्रक्रिया का उपयोग नहीं किया जाता.

शेख हसीना, जो कुछ समय से भारत में रह रही हैं, ने बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन के बाद देश छोड़ दिया था और भारत में शरण ली थी. इस स्थिति ने बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है और युनुस समेत कई बड़े नेता इसे लेकर चिंतित हैं. आंदोलनकारी छात्रों ने अंतरिम सरकार पर दबाव बनाया है कि हसीना को वापस लाया जाए.

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प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पक्षों को कानूनी और कूटनीतिक कर्तव्यों का पालन करना होता है. भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 6 के तहत, यदि अपराध राजनीतिक प्रकृति का हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है. अभी तक भारत में इस अनुरोध के खिलाफ कानूनी चुनौती नहीं दी गई है.

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयस्वाल ने 23 दिसंबर को इस बात की पुष्टि की कि उन्हें बांग्लादेश से एक नोट प्राप्त हुआ है, लेकिन उन्होंने इस पर और टिप्पणी करने से मना कर दिया. इस बीच, भारत और बांग्लादेश ने 185 मछुआरों का आपसी आदान-प्रदान करने का फैसला किया है. ये मछुआरे अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा पार करने के कारण गिरफ्तार किए गए थे. आदान-प्रदान की प्रक्रिया 5 जनवरी तक पूरी की जाएगी, जिसमें 95 भारतीय और 90 बांग्लादेशी मछुआरे शामिल हैं. बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने हाल ही में दोनों देशों के बीच संबंधों को संतुलित रखने और निष्पक्षता पर आधारित बनाने की बात कही है.

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