अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होना है. इस चुनाव को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है. भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए इन चुनावों में जीत काफी मायने रखती है. भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ बना है और इस चुनाव में इंडिया गठबंधन की असली परीक्षा होनी है. चुनाव जीतने के लिए पार्टियां मुफ्त वादों की घोषणा भी कर रही है. कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस द्वारा किये गये वादों के कारण जीत हासिल हो चुकी है और अन्य राज्यों में कांग्रेस ने इस मॉडल को लागू करने की घोषणा की है. ऐसे में भाजपा के लिए चुनौती बढ़ी है और इन चुनौतियों से भाजपा कैसे निपटेगी इसे लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम आवास में प्रभात खबर के नेशनल ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह से बातचीत की. पढ़िए बातचीत के मुख्य अंश :
सशक्त नारी, सशक्त समाज मध्य प्रदेश सरकार की थीम है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में कितना परिवर्तन आया है?
महिला सशक्तिकरण की दिशा में हमारी सरकार पहले से ही काम कर रही है. 2006 में सत्ता में आने के बाद लाडली लक्ष्मी योजना लेकर आये और आज 40 लाख बेटियां इस योजना से जुड़ी है. पहले राज्य में लिंगानुपात बहुत ही खराब था. 1000 लड़कों पर 912 बेटियां पैदा होती थी. बेटियां कोख में मारे जाने लगी थी. बेटियों को बोझ समझा जाना जाने लगा था और मध्यप्रदेश सहित और भी कुछ राज ऐसे थे जहां यह समस्या काफी गंभीर थी. इस तकलीफ को मैंने बचपन से ही अपने गांव में भी देखा था. जब बच्चे पैदा होते थे तो उसका स्वागत किया जाता था और जब बेटियां पैदा होती थी तो मातम मनाया जाता था. तभी से मन में एक टीस सी थी कि इस विषय में कुछ होना चाहिए. सरकार में आने पर हमने लाडली लक्ष्मी योजना बनाकर यह तय किया कि मध्यप्रदेश की धरती पर बेटी लखपति होगी. अब उसको बढ़ाकर कॉलेज, मेडिकल कॉलेज सहित शिक्षण संस्थानों में भी लागू कर दिया. दूसरा मुझे लगा कि बेटी की शादी को लोग बोझ मानते हैं. क्योंकि इस इलाके में दहेज प्रथा रही है. तो हमने कन्या विवाह योजना बनायी. यह काफी लोकप्रिय योजना है. उसके बाद हमने स्थानीय निकाय के चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण महिलाओं को देने का काम किया और मध्य प्रदेश ऐसा करने वाला पहला राज्य था. फिर पुलिस भर्ती में महिलाओं के लिए 30 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया और उस समय इस फैसले का कई लोगों ने जमकर विरोध किया. लेकिन हमने इसे पूरा किया और उसका परिणाम इतना सकारात्मक रहा कि आज पुलिस के यूनिफॉर्म पहनकर बेटियां कानून-व्यवस्था का काम बखूबी संभाल रही है. उसके बाद हमारी सरकार ने शिक्षक भर्ती में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण देने का काम किया. महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने पर स्टांप ड्यूटी घटाकर एक फीसदी कर दिया. जो पुरुषों के नाम पर खरीदने पर 3-4 फीसदी लगता था. इसका परिणाम यह निकला कि आज 45 फीसदी संपत्ति मध्यप्रदेश में महिलाओं के नाम पर खरीदी जाती है. लाडली योजना के तहत महिलाओं को रोजगार देना, लखपति बनाना, सेल्फ हेल्प ग्रुप से जोड़ना, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की व्यवस्था के साथ ही उन सभी चीजों को शामिल किया गया है, जिससे महिलाएं स्वावलंबी और सशक्त बनें.
चुनाव आते ही रेवड़ी पॉलिटिक्स शुरू हो गयी है. इससे राज्य के वित्तीय सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
महिलाओं को सशक्त करना रेवड़ी पॉलिटिक्स नहीं है. पहले राज्य में 1000 बेटों पर 912 बेटियां पैदा होती थी, आज यह रेशियो 956 पर आ गया है. हम वह दिन देखना चाहते हैं जब बेटे और बेटियों का अनुपात बराबर हो. यह बहुत बड़ा सामाजिक क्रांति है. और दूसरी बात, क्या धरती के संसाधन महिलाओं के लिये नहीं है? क्या सिर्फ पुरुष ही राज करेंगे? उनके बारे में कभी नहीं सोचा जाएगा. उनका भी हक है. उनको भी जीने का हक है. उनको भी मुस्कुराने का हक है. यही हक हमलोगों ने उन्हें देने का काम किया है. मध्य प्रदेश में हमलोगों ने एक एमओयू साइन किया है. अब टोल टैक्स महिलाएं चलायेंगी. टोल टैक्स के वसूली का 30 फीसदी हिस्सा उन महिलाओं को मिलेगा. यदि एक लाख रुपये की आमद होती है, तो 30 हजार और 1 करोड़ टोल टैक्स वसूला जाता है, तो 30 लाख उन महिलाओं का होगा. मध्य प्रदेश में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी 15 लाख दीदी लखपति बन चुकी है. मेरा कमिटमेंट है कि प्रति महिला को कम से कम 10 हजार प्रति माह की आमदनी हो, जिससे वह अपना काम चला सके. इसलिए हम लोग महिला सशक्तिकरण की दिशा में और तेजी से काम कर रहे हैं. जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता है, तब तक यह काम करते रहेंगे. इसलिए इसे हम रेवड़ी पॉलिटिक्स नहीं कहेंगे.
कांग्रेस की ओर से भी काफी घोषणाएं की जा रही हैं?
कांग्रेस को कुछ करना धरना है नहीं. उनको सिर्फ वोट लेना है. इसलिए उसके मन में जो आता है उसकी घोषणा कर देती है. लेकिन हम जो करते हैं वह सोच-समझ कर करते हैं. राज्य की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखकर करते हैं. हमारी अर्थव्यवस्था काफी अच्छी है. रेवेन्यू सरप्लस स्टेट हैं हम. कैपिटल एक्सपेंडिचर हमने कभी कम नहीं किया. जो एवरेज है उससे बेहतर है. एक तरफ देखेंगे कि सड़क बन रही है, बिजली का इंतजाम हो रहा है, सिंचाई की योजनाएं बन रही है, ग्लोबल स्किल पार्क बन रहे हैं, भोपाल और इंदौर में मेट्रो चलने को तैयार है, निवेश आ रहा है. एक तरफ स्कूल और मेडिकल कॉलेज खुल रहे है, तो दूसरी तरफ हम जनता के कल्याण का काम कर रहे हैं. हम संतुलन बना कर काम करते हैं. हम अपनी चादर के हिसाब से ही फैसले लेते हैं और अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर उसकी घोषणा करते है और नियत समय में उसे पूरा भी करते हैं.
पिछली बार आपने जन्म से लेकर मृत्यु तक हर व्यक्ति के लिए कोई न कोई स्कीम की घोषणा की थी, फिर भी आपको पूर्ण बहुमत नहीं मिला. क्या इस बार पूर्ण बहुमत मिलेगा?
आप प्रदेश के लोगों से बात कर देखिए, इसका जवाब आपको खुद मिल जायेगा. पिछली बार कांग्रेस की ओर से कर्ज़ माफी सहित कुछ ऐसी घोषणाएं की गयी थी, जिससे कुछ समय के लिह लोगों पर इसका प्रभाव पड़ा. लेकिन सभी लोग जानते हैं कि वोट भाजपा को ज्यादा पड़ा. भले ही 3-4 सीटें कांग्रेस से कम आई, लेकिन लोगों का रुझान भाजपा की ओर था. इतना ही नहीं कांग्रेस को भी बहुमत नहीं मिली थी. कर्ज माफी और बिजली माफी सहित कुछ ऐसी घोषणाएं थी जिससे लोगों को थोड़े समय के लिए लगा कि कुछ उनको राहत मिल जाए, लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं जिसे जनता भी समझ गयी.
आप लंबे समय से सीएम है, लेकिन अब कलेक्टिव लीडरशिप की बात हो रही है. इस पर आपका क्या कहना है?
: यह अच्छा है. उत्तर प्रदेश में भी कलेक्टिव लीडरशिप में चुनाव लड़ा गया. कर्नाटक में भी पांच यात्राएं कलेक्टिव लीडरशिप के नेतृत्व में निकली. यहां भी कलेक्टिव लीडरशिप में निकल रही है, तो इसमें बुराई क्या है?
इससे सीएम के फेस को लेकर कंफ्यूजन तो नहीं होगा?
सीएम के फेस को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होगा. हमलोग इसको लेकर कोई परवाह नहीं करते. हमारा काम है जनता की सेवा करना. पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता के नाते जो भी काम दिया जाता है, उसे पूरे मनोयोग से करता हूं.पार्टी की ओर से जो भी ड्यूटी दी जाती है उसे पूरा करना हमारा काम है.
चुनाव नजदीक आते ही बहुत सारे कथावाचक उभरकर सामने आ रहे हैं. इनसे भाजपा ही नहीं कांग्रेस के लोग भी जुड़ते जा रहे हैं. कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ झुकती दिख रही है. इससे चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा?
कथावाचकों की परंपरा इस देश में बहुत पुरानी है. जब माइक नहीं होते थे तब भी कथा गांव- गांव में होती थी. यह खुशी की बात है कि कथा की पुरानी परंपरा सिर्फ जीवित नहीं है, बल्कि आगे बढ़ रही और फल-फूल रही है. आप गौर करेंगे तो पता चलेगा कि कथा वाचक समाज सुधार की बात करते हैं और समाज को अच्छी चीजें अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं. समाज में उनका प्रभाव है और उनकी अच्छी बातों को समाज स्वीकार भी कर रही है. पहले हिंदू कहना अपराध समझा जाता था. संकीर्ण और सांप्रदायिक समझा जाता था. भगवान को कई लोग काल्पनिक बताते थे. रामसेतु का मजाक उड़ाते थे. लेकिन प्रधान मंत्री ने देश के राजनीतिक एजेंडे को बदल दिया. हमारी परंपरा हमारे जीवन मूल्य हमारे महापुरुष हमारी श्रद्धा, आस्था उस सब को केंद्र में रख कर देश में विकास का काम प्रधानमंत्री कर रहे हैं. जब लोगों ने देखा की अब भगवान राम की बात नहीं करेंगे तो मारे जायेंगे. इस सोच के कारण पहले राम का विरोध करने वाले लोग भी राम नाम जपने लगे हैं. ऐसे लोग हनुमान चालीसा का पाठ भी पढ़ते है और राम- राम भी करते हैं. यह तो हमारे लिए खुशी की बात है. कांग्रेस को लगता है की यदि अब वो ऐसा नहीं करेंगे तो चुनाव में नुकसान हो जाएगा. इसलिए ऐसा अब वह कह भी रहे हैं और कर भी रहे हैं. कांग्रेस सिर्फ वोट पाने के लिये ऐसा कुछ दिखावा कर रही है.
कांग्रेस से कई लोग भाजपा में आये थे उनके अंदर अब असंतोष का भाव पनप रहा है और कई लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. इससे भाजपा की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. कांग्रेस में असंतोष था. चुनाव के दौरान किए वादे और वचन को नहीं निभाया. इस वादाखिलाफी के कारण कांग्रेस के लोगों ने पार्टी छोड़ सिंधिया जी के नेतृत्व में भाजपा में आ गये. कई लोग हमारे साथ आये. कई लोग त्यागपत्र देकर आये और फिर चुनाव भी जीते. जहां तक असुरक्षा की बात है, तो भाजपा में भी 10 कार्यकर्ता हैं तो वे भी चुनाव लड़ने की इच्छा रखते है, लेकिन टिकट तो पार्टी किसी एक को ही देती है.
कांग्रेस ने आपकी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए हैं. कर्नाटक में भी कांग्रेस ने भाजपा पर कई तरह के आरोप लगाए और वहां हुए हालिया चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा. ऐसे में कांग्रेस और विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की चुनौती को आप किस रूप में देखते हैं?
कांग्रेस गंदगी पर उतर आयी है. उनको पहले लगता था कि सरकार बना लेंगे. लेकिन राज्य में भाजपा के पक्ष में उमड़ रहे जनसैलाब को देखकर कांग्रेस घबरा गयी है. भाजपा के पक्ष में माहौल को देखते हुए कांग्रेस को लगने लगा है कि वे चुनाव नहीं जीत सकते हैं. ऐसे में वे घृणित, गंदी और बेसिर पैर का आरोप लगाने की राजनीति करने लगे हैं. कांग्रेस भ्रष्टाचार की बात कर रही है, लेकिन कांग्रेस नेताओं पर आईटी और ईडी के छापे होने पर 280 करोड़ रुपये की बरामदगी होती है. ऐसे में कांग्रेस द्वारा भ्रष्टाचार की बात करना शोभा नहीं देता है. कांग्रेस राज में राज्य को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया था. कलेक्टर-एसपी के पोस्टिंग में पैसा लेते थे. उन्हें लगता है कि एक झूठ को बार-बार बोलने से वह सच हो जायेगा, लेकिन राज्य की जनता उनके कारनामों को जानती है. वह जितना हमारे ऊपर कीचड़ उछालेंगे, झूठा आरोप लगाएंगे, बदनाम करने की असफल प्रयास करेंगे उससे कांग्रेस को ही नुकसान होगा.
आपको लगता है कि इस बार आपके पक्ष में स्पष्ट जनादेश आएगा? क्योंकि इंडिया गठबंधन ने साझा उम्मीदवार देने की घोषणा की है? राज्य और केंद्र के स्तर पर आप इसे कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?
इसमें कहीं कोई इफ-बट नहीं है. भाजपा को पूर्ण जनादेश मिलेगा. विपक्ष की ना ही कोई विचारधारा, ना ही सोच ना ही कोई कॉमन एजेंडा है. यह सब एक क्यों हुए हैं? पहले ये सब आपस में लड़ते थे. चाहे, सपा हो या कांग्रेस हो या तृणमूल कांग्रेस के लोग है. यह सब एक इसलिए हुए हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में देश में एक सैलाब आया हुआ है. जब बाढ़ आती है तो एक ही पेड़ पर सांप, बिल्ली, आदमी, बंदर सब बैठ जाते हैं, लेकिन एक दूसरे को कोई कुछ नहीं करता है. ना सांप फुफकारता है और ना ही आदमी किसी को लाठी मारता है, क्योंकि उन्हें पता है कि नीचे पानी है गिरे तो मारे जायेंगे. दूसरा यह भी डर है कि मोदी जी ने कह दिया है कि ना खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा. पहले तो नेता को कुछ होता ही नहीं था. पहली बार यह डर आया है कि चाहे कोई भी हो गलत करेंगे तो जेल जाना होगा. विपक्ष के मन में यह भी डर बैठा है. इसलिए सब एक हो रहे हैं.
आपकी छवि एक सॉफ्ट नेता की रही है, लेकिन बीच में आप भी काफी हार्ड और कड़ाई से पेश आ रहे हैं..
(बीच में ही बात काटते हुए) देखिए, जब मैं सीएम बना था, तो यहां डकैत और नक्सली बड़े पैमाने पर थे. चंबल के नाम से फिल्में बनती थी. खड़े-खड़े लोगों को भून दिया जाता था. पांच बजे के बाद लोग निकलते नहीं थे. मैंने आते ही कहा था कि प्रदेश में या तो डकैत रहेंगे या शिवराज रहेगा. डकैत रहेंगे, तो शिवराज नहीं और शिवराज रहेंगे, तो डकैत नहीं. छह महीने के अंदर या तो डकैतों ने सरेंडर कर दिया या फिर मारे गये. आज तक कोई डकैत फिर नहीं पनपा. हमने सिमी के नेटवर्क को ध्वस्त किया. नक्सली, कांग्रेस के राज में सीटिंग मिनिस्टर के गर्दन काट कर ले गये थे. हमने नक्सलवाद को राज्य से खत्म कर कर दिया. जहां सख्त कार्रवाई की जरूरत है वहां हमने सख्त कार्रवाई की और जहां जनता के प्रति सॉफ्ट रहना है वहां पर हमने वैसा किया. मैं कहता हूं कि सज्जनों के लिए फूल से ज्यादा कोमल और दुष्टों के लिए वज्र से ज्यादा कठोर हूं. यदि मासूम बेटियों के साथ कोई दुराचार करेगा, तो उसके लिए कठोरतम हूं. बलात्कार करने वालों के लिये फांसी की सजा का प्रावधान किया, क्योंकि देखा कि बलात्कारी जेल चले जाते थे, लेकिन वहां से लौटने के बाद फिर कोई दूसरी वारदात कर देते थे. इसलिए मैंने फांसी की सजा का प्रावधान किया.
वन नेशन वन इलेक्शन पर आपके क्या विचार है?
जो पार्टी के विचार है वहीं विचार मेरे भी है. क्योंकि बार-बार चुनाव होने से विकास का काम प्रभावित होता है.
ओबीसी आरक्षण पर रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट आयी है. जिसमें ओबीसी के अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग आरक्षण की बात कही गयी है, इसे आप किस रूप में देखते हैं?
इस पर पार्टी का जो फैसला होगा उसी के साथ हूं. केंद्र सरकार और पार्टी को जो भी फैसला होगा वह देश हित और समाज हित में होगा.
आप अपने मेनिफेस्टो में यूसीसी का जिक्र करेंगे?
भारतीय जनता पार्टी जो तय करेगी वहीं हम अपने मेनिफेस्टो में लायेंगे.
कांग्रेस कर्नाटक के मॉडल को मध्यप्रदेश में लाने की बात कह रही है….
यहां पर कोई मॉडल काम नहीं करेगा. सिर्फ विकास का मॉडल, जो यहां पर काम कर रहा है वही काम करेगा.
चुनाव में मुख्य मुद्दा क्या होगा?
दो ही फैक्टर है विकास और जनकल्याण.
आपने राज्य में तो महिला आरक्षण का प्रावधान किया है यदि केंद्र में सरकार ऐसा प्रावधान करती है तो इस पर आपका क्या रुख होगा?
वह पार्टी देखेगी. पार्टी का जो फैसला होगा हम उसी के साथ है.
आप इसके पक्ष में है या नहीं?
पार्टी फोरम में तो इस बात की चर्चा हम लोग पहले से करते रहे हैं.
लोकसभा चुनाव में पार्टी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है?
पिछली बार 29 में से 28 सीटें मिली थी. इस बार 29 के 29 मिलेंगे.
विधानसभा चुनाव को लेकर आपका क्या आकलन है और आप कितनी सीटें जीतने के प्रति आश्वस्त हैं?
मध्यप्रदेश में हम सबसे ज्यादा सीट प्राप्त करेंगे. भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलेगा. एकदम मैं कहूं कि इतनी सीट तो वह सच नहीं होगा.
बाकी दो राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी चुनाव है, उन राज्यों में आप क्या देखते हैं?
(हंसते हुए ) मुझे तो चिड़िया की आंख की तरह सिर्फ मध्यप्रदेश ही दिखाई देता है. मेरी जिम्मेदारी सिर्फ मध्यप्रदेश है.
मध्यप्रदेश में अभी भी पलायन की समस्या है. अगली बार यदि आपकी सरकार बनती है, तो आप इस दिशा में क्या करेंगे?
मध्यप्रदेश की पहले प्रति व्यक्ति आय 11 हजार रुपये थी आज वह बढ़कर एक लाख रुपये हो गयी है. विभिन्न क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है. अब पलायन की समस्या पहले जैसी नहीं है. लेकिन बढ़िया मजदूरी के लिए लोग इधर-उधर जाते हैं. यदि यहां जितनी मजदूरी मिल रही है उससे ज्यादा यदि गुजरात के किसी फैक्ट्री में मिलती है वह निकटवर्ती जिलों में जाते हैं. झाबुआ से अलीराजपुर दूर पड़ता है, लेकिन बड़ौदा बिल्कुल पास पड़ता है, तो बेहतर मजदूरी के लिये लोग वहां चले जाते हैं. .
भाजपा के बहुत नेता कांग्रेस में जा रहे हैं, ऐसा क्यों?
चुनाव के समय जब किसी भी नेता को लगता है कि उनका टिकट कट रहा है या उन्हें टिकट मिलने की संभावना कम है, तो वे अपना ठौर-ठिकाना ढूंढने लगते हैं.
पार्टी का घोषणा पत्र कब जारी होगा? पिछले चुनाव से इस बार क्या अलग होगा?
पार्टी घोषणा करेगी. यह सीट वाइज भी हो सकती है. जब होगा, तो आप लोगों को खबर मिल जायेगी. चुनाव में अब ज्यादा दिन तो है नहीं. हो सकता है कुछ और घोषणाएं जल्द ही हो जाये.
अगले पांच साल में आप देश की राजनीति में खुद को कहां पाते है?
पार्टी जहां रखेगी वहां रहूंगा. जो पार्टी तय करेगी वही काम मुझे करना है.
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