नई दिल्ली : श्रद्धा वालकर हत्याकांड मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा लव जिहाद का मुद्दा उठाए जाने के बाद देश की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है. हिमंत बिस्वा सरमा के बयान के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने एक बयान में कहा है कि इस पर भाजपा की राजनीति पूरी तरह से गलत है. यह लव जिहाद का मुद्दा नहीं है, बल्कि शोषण और एक महिला के खिलाफ दुर्व्यवहार का मुद्दा है और इसे इसी तरह से देखा जाना चाहिए और इसकी निंदा की जानी चाहिए.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भाजपा इसे धर्म के नजरिए से जोड़कर देख रही है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ देश में जो हिंसा होती है, वह सिर्फ पुरुषों के माइंडसेट की वजह से हो रहा है. इस पर भाजपा की राजनीति पूरी तरह से गलत है. यह लव जिहाद का मुद्दा नहीं है, बल्कि शोषण और एक महिला के खिलाफ दुर्व्यवहार का मुद्दा है और इसे इसी तरह से देखा जाना चाहिए और इसकी निंदा की जानी चाहिए.
इससे पहले मंगलवार को गुजरात में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने श्रद्धा हत्याकांड का हवाला देते हुए कहा कि लव जिहाद के खिलाफ मजबूत कानून बनाने की मांग उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश को लव जिहाद के खिलाफ कठोर कानून बनाने की जरूरत है, जो केवल भाजपा ही दे सकती है.
गुजरात के धनसूरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि आफताब ने श्रद्धा को मार डाला और उसके शरीर को 35 टुकड़ों में काट दिया. जब पुलिस ने पूछा कि वह केवल हिंदू लड़कियों को क्यों लाया, तो उसने कहा कि उसने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वे भावुक हैं. उन्होंने कहा कि देश में दूसरे आफताब-श्रद्धा जैसे भी हैं. देश को ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून की जरूरत है.
बता दें कि श्रद्धा वालकर की हत्या मामले में आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की पॉलीग्राफी जांच का दूसरा सत्र गुरुवार को रोहिणी में फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) में शुरू हुआ. अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को जांच नहीं हो पाई थी, क्योंकि 28 वर्षीय पूनावाला को बुखार तथा जुकाम था. एफएसएल के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस उसे यहां लेकर आई और पॉलीग्राफी जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
इस जांच में देरी से पूनावाला की नार्को जांच में भी देरी हो गई है. पॉलीग्राफी जांच में रक्तचाप, नब्ज और सांस की दर जैसी शारीरिक गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है और इन आंकड़ों का इस्तेमाल यह पता लगाने में किया जाता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या नहीं. वहीं, नार्कों जांच में व्यक्ति की आत्मचेतना को कम कर दिया जाता है, ताकि वह खुलकर बोल पाए.