लॉकडाउन का साइड इफेक्ट : बंगाल में फंसी थी बरात, 56 दिनों बाद पहुंचे अपने गृह नगर
कोरोना वायरस को काबू में करने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण पश्चिम बंगाल में फंसी बारात 56 दिन के बाद हिमाचल प्रदेश लौटी.
कोरोना वायरस को काबू में करने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण पश्चिम बंगाल में फंसी बारात 56 दिन के बाद हिमाचल प्रदेश लौटी. दुल्हे सुनील कुमार (30) ने बताया कि बारात में शामिल होने के लिए 17 लोग पंजाब के रूपनगर जिले के नंगल डैम रेलवे स्टेशन से कोलकाता जाने वाली गुरुमुखी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में 21 मार्च को सवार हुए थे. जब वे अगले दिन 22 मार्च को कोलकाता पहुंचे तो देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर लोग ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन कर रहे थे. कुमार और संयोगिता का विवाह 25 मार्च को पुरुलिया जिले के काशीपुर गांव में निर्धारित समय पर सम्पन्न हुआ. उसी दिन देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन का पहला चरण शुरू हुआ.
दुल्हन के साथ बारात को 26 मार्च को लौटना था और उन्होंने टिकट बुक करा रखे थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें 50 से अधिक दिन तक एक धर्मशाला में रुकना पड़ा. कुमार ने बताया कि उसके ससुराल वालों ने काशीपुर की धर्मशाला में उनके रहने का प्रबंध किया और हर संभव मदद मुहैया कराई. पेशे से इलेक्ट्रिशियन कुमार ने कहा, ‘‘हमने पश्चिम बंगाल हेल्पलाइन नंबरों पर फोन किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसके बाद हमने हिमाचल प्रदेश के मंत्री वीरेंद्र कंवर से संपर्क किया जिन्होंने हमारे लिए राशन का प्रबंध किया. ” बारात को अंतत: राज्य सरकार से ई-पास मिला जिसके बाद वह 14 मई को मालदा से हिमाचल प्रदेश जाने वाली बस में सवार हुई. बस सोलन जिले से मालदा के कुछ लोगों को लेकर आई थी.
बारात 55 घंटे में 1,850 किलोमीटर की दूरी तय कर हिमाचल प्रदेश पहुंची. कुमार ने ऊना जिले के एक होटल में पृथक-वास केंद्र से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि हम स्वर्ग में वापस आ गए हैं. ” दुल्हन समेत बारात को उसके गांव से पांच किलोमीटर दूर एक होटल के हॉल में पृथक वास में रखा गया है. कुमार ने कहा कि इस बारात में शामिल लोगों का कहना है कि वे कभी इस शादी को नहीं भुला पाएंगे. उसने कहा, ‘‘कोरोना वायरस संबंधी जांच के लिए हमारे नमूने लिए जाएंगे और हमें 14 दिन के पृथक-वास के बाद घर जाने की अनुमति मिल जाएगी. ”