अहमदाबाद : गुजरात में साल 2002 के नरोदा गाम दंगा मामले में अभी हाल ही में एक विशेष अदालत की ओर से राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबर के अनुसार, अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम (एसआईटी) विशेष अदालत के फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती देगी.
20 साल बाद सुनाया गया फैसला
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, एसआईटी के मामलों पर सुनवाई से संबंधित विशेष न्यायाधीश एसके बक्शी की अहमदाबाद स्थित अदालत ने गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित 67 आरोपियों को 20 अप्रैल को बरी कर दिया था. गोधरा कांड के बाद अहमदाबाद के नरोदा गाम इलाके में हुए दंगों के दौरान 11 लोगों की हत्या किये जाने के दो दशक बाद अदालत का यह फैसला आया था.
फैसले के अध्ययन के बाद अंतिम निर्णय
सूत्र ने कहा कि एसआईटी नरोदा गाम मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में निश्चित रूप से अपील दायर करेगी. एसआईटी को अदालत के फैसले की प्रति मिलने का इंतजार है और फैसले का अध्ययन करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा. नरोदा गाम में हुए नरसंहार, 2002 के नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों के मामलों में शामिल है, जिनकी विशेष अदालतों द्वारा सुनवाई की गई है.
आरोपियों में 18 की हो चुकी है मौत
रिपोर्ट के अनुसार, नरोदा गाम नरसंहार मामले में एसआईटी ने 2008 में गुजरात पुलिस से जांच अपने हाथों में ले ली थी और मामले में 30 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था. मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की मौत सुनवाई के दौरान हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में आरोपमुक्त कर दिया था. उधर, पीड़ित परिवारों के वकीलों ने फैसले के दिन ही कहा था कि वे विशेष अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.
28 फरवरी 2002 को नरोदा गाम में भड़की थी हिंसा
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, गोधरा स्टेशन के पास भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग लगाए जाने के एक दिन बाद आहूत बंद के दौरान 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गाम इलाके में दंगे भड़क गए थे. गोधरा की घटना में कम से कम 58 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर लोग अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे.
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मामले में अमित शाह ने भी दी थी गवाही
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह सितंबर, 2017 में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी के लिए बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर निचली अदालत में पेश हुए थे. माया कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि अमित शाह को यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि वह गुजरात विधानसभा और बाद में अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं, न कि नरोदा गाम में, जहां नरसंहार हुआ था. वर्ष 2010 में सुनवाई शुरू होने के बाद से छह अलग-अलग जजों ने मामले की सुनवाई की.