भारतीय रेल ने एक मई से अब तक 1,150 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला कर लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी कामगारों में से करीब 15 लाख को अपने-अपने घरों तक पहुंचाया है. भारतीय रेल ने शुक्रवार को ही बताया था कि उसे विभिन्न राज्यों से 1,000 से ज्यादा ट्रेनें चलाने की अनुमति मिली है और पिछले 15 दिन में उसने सबसे ज्यादा संख्या में लोगों को उत्तर प्रदेश पहुंचाया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा संख्या में प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश लौटे हैं, वहीं अपने लोगों को वापस बुलाने में बिहार दूसरे नंबर पर है. आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने आठ, राजस्थान ने 23, झारखंड ने 50 और ओडिशा ने 52 ट्रेनों के परिचालन की अनुमति दी है.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने प्रवासी कामगारों की वापसी के लिए ट्रेनों के संचालन में उत्तर प्रदेश और बिहार की सक्रिय भागीदारी की सराहना करते हुए कहा कि 80 प्रतिशत श्रमिक स्पेशल ट्रेनें इन्हीं दोनों राज्यों में गई हैं. रेलवे ने बताया कि पिछले तीन दिन में, प्रति दिन दो लाख से अधिक यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाया गया है. आने वाले दिनों में प्रतिदिन यात्रा करने वाले लोगों संख्या तीन लाख तक पहुंचने की उम्मीद है. अब तक अपने गंतव्यों तक पहुंची गाड़ियों में से अधिकतम 387 ट्रेनें उत्तर प्रदेश गई हैं.
भाषा के मुताबिक उत्तर प्रदेश ने 526 ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है, उसके बाद बिहार ने 269 और मध्य प्रदेश ने 81 ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है. झारखंड ने 50, ओडिशा ने 52, राजस्थान ने 23 और पश्चिम बंगाल ने नौ ट्रेनों के लिए मंजूरी दी है. इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 1,200 की जगह अब 1,700 यात्रियों को ले जाया जा रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाया जा सके. देश के विभिन्न राज्यों में ल़ॉकडाउन के कारण मजदूर फंस गये थे. इसके बाद मजदूरों ने पैदल ही अपने घर की ओर चलना शुरू कर दिया था. मजदूरों की इस समस्या को देखते हुए केंद्र के साथ विभिन्न राज्यों ने मिलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया था.