West Bengal Post Poll Violence: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा पर कलकत्ता हाइकोर्ट के एक फैसले के बाद एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) आमने-सामने आ गये हैं. बीजेपी ने हाइकोर्ट के फैसले पर खुशी का इजहार किया है, तो तृणमूल कांग्रेस ने इस पर नाराजगी जाहिर की है. तृणमूल के सांसद ने चुनाव के बाद हुई हिंसा की कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच को राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करार दिया है. साथ ही कहा है कि बंगाल सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है.
दरअसल, कलकत्ता हाइकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से मामले की जांच कराने का आदेश दिया है. पांच जजों की वृहत्तर पीठ ने कहा कि जस्टिस आईपी मुखर्जी की निगरानी में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच सीबीआई करेगी. कोर्ट ने कहा कि अगर जांच दल को ऐसा लगता है कि कोई मामला चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित नहीं है, तो तमाम रिकॉर्ड संबंधित थाना प्रभारी को सौंप दिये जायेंगे.
This is a concrete step on the path to justice. This is a message to families of our deceased workers that they don't need to lose their faith in democracy because they will get justice: Union Minister Smriti Irani on court-monitored CBI probe ordered into WB post-poll violence pic.twitter.com/0usUti4wUM
— ANI (@ANI) August 19, 2021
कोर्ट के फैसले को टीएमसी और बीजेपी ने अपनी-अपनी तरह से परिभाषित करने की कोशिश की. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने पूछा कि क्या पश्चिम बंगाल की सरकार को यह अधिकार है कि वह महिलाओं का बलात्कार करे? लोगों की हत्या करे?
उन्होंने पूछा कि क्या पश्चिम बंगाल सरकार को यह अधिकार है कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं के घरों को लूटे और उसे जला दे. भारत में बसने वाले लोगों को अपने ही देश में रिफ्यूजी की तरह जिंदगी बसर करने के लिए मजबूर करने का अधिकार बंगाल सरकार को कौन देता है? उनका सिर्फ एक गुनाह है कि वे बीजेपी का समर्थन करते हैं? ये बातें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहीं.
I'm unhappy with verdict. If in every law&order matter which is entirely within State govt's jurisdiction the CBI comes in it is transgression on State's right. I'm sure state govt will judge the situation&take a decision to appeal to a higher court if necessary:Saugata Roy, TMC pic.twitter.com/oHdTO9PEWF
— ANI (@ANI) August 19, 2021
स्मृति ईरानी ने ये बातें तब कहीं, जब कलकत्ता हाइकोर्ट ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की किसी जज की निगरानी में सीबीआई जांच कराने के आदेश दिये. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि निष्पक्ष जांच का यही एकमात्र विकल्प था. कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने भाजपा के कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे लोकतंत्र में आस्था रखें. उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. सभी पीड़ितों को न्याय अवश्य मिलेगा.
पीड़ितों से बोलीं स्मृति- सबको न्याय मिलेगा
स्मृति ईरानी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सबूतों को मिटाने की हरसंभव कोशिश की. बावजूद इसके बलात्कार की शिकार हुई महिलाओं ने न्यायालय की शरण ली. उन्होंने मानवाधिकार आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करायी. जांच दल के सदस्यों को आपबीती सुनायी. इसके बाद कलकत्ता हाइकोर्ट की पांच जजों की बेंच ने यह आदेश दिया है. यह पीड़ित महिलाओं के लिए एक संदेश है कि उन्हें न्याय मिलकर रहेगा.
उधर, तृणमूल कांग्रेस के सीनियर लीडर और लोकसभा सांसद सौगत रॉय ने कलकत्ता हाइकोर्ट के इस आदेश पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि वह इस फैसले से खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यदि राज्य की विधि व्यवस्था के हर मामले में सीबीआई को शामिल किया जायेगा, तो यह राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस फैसले पर विचार-विमर्श करने के बाद उसका आकलन करेगी और जरूरी हुआ, तो सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देगी.
बलात्कार के मामलों की जांच करेगी सीबीआई
कोर्ट की वृहत्तर पीठ ने कहा कि महिलाओं के साथ हुई बलात्कार की घटनाओं की जांच रिपोर्ट सीबीआई जांच दल को सौंप दी जाये. बाकी सभी मामलों की निगरानी के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों की टीम बनायी गयी है. इसमें पश्चिम बंगाल कैडर की आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू और सौमेन मित्रा शामिल हैं. पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में होने वाले जांच के लिए अलग से एक आदेश पारित किया जायेगा.
पांच जजों की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार जांच से जुड़े सारे दस्तावेज जांच एजेंसियों को सौंप दे. यदि उसने जांच एजेंसी की मदद नहीं की, तो इसे गंभीरता से लिया जायेगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि राशिद मुनीर खान के मामले की अलग से जांच की जाये. साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को नियम के मुताबिक मुआवजा का भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा कि अगर कभी ऐसा लगता है कि किसी मामले में दिशा-निर्देश की जरूरत है, तो जांच एजेंसी कोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल कर सकता है.
Posted By: Mithilesh Jha