ऐसा कहा जाता है कि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह कश्मीर में है. यहां पर सीजन में ढेर सारे पर्यटक आते हैं, ऐसा ही हाल हिमाचल प्रदेश का है, पर इन दिनों कश्मीर और हिमाचल में बर्फबारी की चाह में पहुंच रहे पर्यटक निराश हो रहे हैं, सिर्फ कश्मीर ही नहीं हिमाचल में भी इस बार बर्फबारी बेहद कम हुई है.
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हिमाचल प्रदेश का है बुरा हाल
जाड़े के मौसम में पर्यटक हिमाचल प्रदेश की तरफ रूख करते हैं, आपको बता दें इस साल यहां जैसे हालात बनते हुए नजर आ रहे हैं. हां भी अगले एक महीने में यहां बारिश और बर्फबारी के संकेत नहीं है और हिमाचल की आर्थिकी भी मुख्य रूप से पर्यटन और सेब की बागवानी पर टिकी है. र्फबारी ना होने के कारण ये दोनों ही क्षेत्र प्रभावित होते नजर आ रहे हैं.
हो रही है बारिश के देवता की पूजा
मौसमी की बेरुखी के चलते पिछले तीन माह से बारिश और बर्फबारी नहीं हो रही है। बारिश और बर्फबारी करवाने के लिए हिमाचल के हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग मंदिरों और मठों में विशेष पूजा करवा रहे हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हिमाचल प्रदेश में दो ऐसे बड़े देवता हैं जिन्हें बारिश का देवता माना जाता है।
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पश्चिमी विक्षोभ बनी ऐसे मौसम की वजह
पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में दिसंबर में 80 प्रतिशत वर्षा की कमी दर्ज की गई और जनवरी अब तक लगभग शुष्क रही है. रत मौसम विज्ञान विभाग ने इसके लिए इस सर्दी के मौसम में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की कमी को जिम्मेदार ठहराया है.
जलविद्युत परियोजनाएं हो रही हैं प्रभावित
आपको बता दें कश्मीर की बर्फबारी टूरिस्ट अट्रैक्शन (पर्यटकों के बीच आकर्षण के केंद्र) के लिए मशहूर है. यहां पर बर्फबारी की कमी होने से काफी परेशानी हो रही है. शीतकालीन फसलें, बागवानी, झरनों और नदियों में पानी की उपलब्धता के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था इस पर निर्भर करती है. कश्मीर घाटी मेंकम या बिल्कुल बर्फबारी की सूचना न मिलने से स्थानीयों को कृषि, बागवानी और पेयजल आपूर्ति पर असर पड़ने का डर सता रहा है. चिंता बढ़ाने वाली बात यह भी है कि नदियों में पानी के बहाव में अनुमानित गिरावट आई है जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 100% बिजली की आपूर्ति करने वाली जलविद्युत परियोजनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है.
बर्फबारी की हो रही है कमी
कश्मीर के साथ हिमाचल में भी लगातार बर्फबारी में कमी आ रही है. हिमाचल में बर्फ की परत में तकरीबन 18 प्रतिशत की कमी देखी गई है. यदि पिछले 20 सालों की बात करें तो पहाड़ों पर होने वाली बर्फबारी में तकरीबन 78 प्रतिशत की कमी आई है.