सामग्री को ब्लॉक करने का नियम नया नहीं, 2009 से अस्तित्व में : सरकार

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल मीडिया के नए दिशा-निर्देशों पर शनिवार को स्पष्टीकरण देते हुए इस आशय की जानकारी दी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दिशा-निर्देशों के भाग तीन के नियम 16 को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है. इस नियम के तहत आपात स्थिति में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव सामग्री को अंतरिम रूप से ब्लॉक करने का निर्देश दे सकते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2021 10:36 PM
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सोशल मीडिया सहित अन्य ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने संबंधी विवाद पर भारत सरकार का कहना है कि डिजिटल माध्यमों पर साझा सामग्री को आपात स्थिति में ब्लॉक करने का नियम देश में नया नहीं है और वह 2009 से ही अस्तित्व में है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल मीडिया के नए दिशा-निर्देशों पर शनिवार को स्पष्टीकरण देते हुए इस आशय की जानकारी दी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दिशा-निर्देशों के भाग तीन के नियम 16 को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है. इस नियम के तहत आपात स्थिति में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव सामग्री को अंतरिम रूप से ब्लॉक करने का निर्देश दे सकते हैं.

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बयान के अनुसार, ‘‘यहां स्पष्ट किया जाता है कि यह कोई नया प्रावधान नहीं है. यह पिछले 11 साल से (2009 से) अस्तित्व में है और प्रावधान के तहत अधिकार का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सचिव द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (जनता के लिए सूचना को ब्लॉक करने की प्रक्रिया और सुरक्षा) नियम, 2009 के तहत किया जाता है.”

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बयान में कहा गया है कि इस साल 25 फरवरी को जारी नियमानुसार प्रावधान में इसका उपयोग करने का अधिकार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को दे दिया गया है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह दोहराया जाता है कि… प्रावधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है और न हीं सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थता दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया नीति संहिता) नियम, 2021 के तहत सामग्री को ब्लॉक करने के लिए कोई नया प्रावधान जोड़ा गया है.”

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