पंजाब: सत्ता विरोधी धार, अपनों की तकरार और अमरिंदर की तलवार के बीच सोनिया ने पुराने चेहरों पर जताया भरोसा

अभियान समिति के चेयरमैन सुनील जाखड़ ने दिल्ली में जाकर आप की स्टोरी बताई कि कैसे टिकटों का गलत आवंटन से आप के भीतर विद्रोह हो गया है और उसका ग्राफ गिरने लगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2022 12:06 PM
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नई दिल्ली : पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां सामने खड़ी हैं. पार्टी नेताओं की अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही. सत्ता विरोधी लहर हिलोरें मार रही है और पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले से ही कांग्रेस को हराने के लिए तलवार लेकर बैठे हैं. टिकट बंटवारे में कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन सभी चुनौतियों को साधने के लिए तमाम विडंबनाओं के बीच अपनों पर ही भरोसा किया है और उन्होंने पुराने चेहरों को मैदान में उताकर एक नया दांव खेल दिया है. हालांकि, पार्टी ने इस बार के चुनाव में कुछ नए चेहरों को भी मौका दिया है.

86 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी

कांग्रेस ने शनिवार को पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए अपने 86 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है, जिसमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा और ओपी सोनी समेत कई वरिष्ठ नेताओं को पार्टी की ओर से टिकट दिया गया है. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस ने चंद टिकटों में ही बदलाव किया है, जिसमें मालविका सूद और मानसा से सिद्धू मूसेवाला भी शामिल हैं.

कौन कहां से लड़ेगा चुनाव

कांग्रेस ने पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब से दोबारा चुनाव लड़ाने का फैसला किया है. वे इस सीट से साल 2007 से लगातार विधायक हैं. हालांकि, अटकलें यह भी लगाई जा रही थीं कि उन्हें एक और सीट आदमपुर से भी चुनाव लड़ाया जा सकता है. वहीं, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को एक बार फिर से उनके मौजूदा विधानसभा क्षेत्र अमृतसर पूर्व से ही टिकट दिया गया है. वह साल 2017 में इस सीट से निर्वाचित हुए थे. 2012 में उनकी पत्नी नवजोत कौर ने इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी.

चार विधायकों के काट दिए गए टिकट

इसके अलावा, चन्नी सरकार के दोनों उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा और ओपी सोनी को उनकी अपनी-अपनी सीट से टिकट दिया गया है. रंधावा डेरा बाबा नानक और सोनी अमृतसर सेंट्रल से ही चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, कांग्रेस ने चार मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है, जिनमें बलविंदर सिंह लड्डी भी शामिल है, जो पिछले दिनों भाजपा में शामिल होने के छह दिन के भीतर ही पार्टी में वापस आ गए थे. पार्टी ने लड्डी के अलावा मोगा से विधायक हरजोत कमल सिंह, बलुआना से विधायक नाथू राम और मालौट से विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष अजायब सिंह भट्टी के टिकट काटे गए हैं.

नौ महिलाओं को दिया गया टिकट

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन नामों को स्वीकृति प्रदान की गई. पंजाब के लिए जारी कांग्रेस 86 उम्मीदवारों की इस सूची में नौ महिला उम्मीदवार शामिल हैं. यानी महिलाओं को करीब 10 फीसदी प्रतिनिधित्व मिला है. हालांकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए हैं. कांग्रेस ने पंजाब में टिकट वितरण में ‘एक परिवार, एक टिकट’ का फार्मूला अपनाया है.

आम आदमी पार्टी से मिला सबक

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस ने टिकट बंटवारे को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) से सबक सीखा है. अभियान समिति के चेयरमैन सुनील जाखड़ ने दिल्ली में जाकर आप की स्टोरी बताई कि कैसे टिकटों का गलत आवंटन से आप के भीतर विद्रोह हो गया है और उसका ग्राफ गिरने लगा. अगर किसी की टिकट कटती है या किसी के खेमे के नेता को मिलती है, तो कांग्रेस को पंजाब में नुकसान उठाना पड़ सकता है. कांग्रेस में आगे ही पहली कतार की लीडरशिप एक दूसरे को कटघरे में खड़ा कर रही है.

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चहतों को टिकट दिलाने की फिराक में जुटे थे दिग्गज

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, टिकट आवंटन में सुनील जाखड़, प्रताप बाजवा और नवजोत सिंह सिद्धू से लेकर हर दिग्गज अपने चहेते को टिकट दिलाना चाहता था. इस कलह में कांग्रेसी दो फाड़ हो सकते थे और ऊपर से पार्टी के विधायकों को भाजपा और कैप्टन पहले ही लपकने के लिए खड़े थे. मोगा से विधायक हरजोत कमल की टिकट काटकर मालविका सूद को दिया गया तो विधायक कमल ने भाजपा में शामिल होकर आईना दिखा दिया कि अगर किसी विधायक की टिकट कटी तो निश्चित तौर पर सभी को लेने के लिए भाजपा व कैप्टन तैयार हैं. लिहाजा पार्टी ने अधिकतर पुराने चेहरों पर भरोसा करते हुए उनके नामों पर अपनी मुहर लगा दी.

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