Sonia Gandhi: संसद के पहले सत्र में उपसभापति पद और नीट मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बीच कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा कि इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “टकराव को महत्व देते हैं”, चाहे वो भले ही “आम सहमति के मूल्य” का उपदेश देते हों.
द हिंदू में छपे एक संपादकीय में सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अभी भी लोकसभा चुनाव के नतीजों से उबर नहीं पाए हैं, जिसमें एनडीए कमजोर जनादेश के साथ सत्ता में वापस आया है. अपने लेख से गांधी ने नीट परीक्षा, मणिपुर , चुनाव परिणाम और इमरजेंसी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है.
आम सहमति बनाम टकराव
द हिंदू में छपे संपादकीय में सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही न हो. वे आम सहमति के महत्व का उपदेश देते हैं लेकिन टकराव को महत्व देना जारी रखते हैं. प्रधानमंत्री मोदी अभी भी लोकसभा चुनाव के नतीजों से उबर नहीं पाए हैं, जिसमें एनडीए कमजोर जनादेश के साथ सत्ता में वापस आया है. उन्होंने कहा कि “4 जून, 2024 को हमारे देश के मतदाताओं का फैसला स्पष्ट और जोरदार तरीके से सामने आया. यह एक ऐसे प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार का संकेत था, जिन्होंने चुनाव अभियान के दौरान खुद को दिव्य होने दर्जा दे दिया था. इस फैसले ने न केवल ऐसे दावों को नकार दिया, बल्कि इस फैसले ने विभाजनकारी, कलह और नफरत की राजनीति को भी स्पष्ट रूप से नकार दिया, इसने नरेन्द्र मोदी की शासन शैली को नकार दिया.
सोनिया गांधी ने कहा कि मैं याद दिलाना चाहूंगी कि जब प्रधानमंत्री के लोगों ने अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति मांगी थी, तो इंडिया ब्लॉक दलों ने कहा कि हम सरकार का समर्थन करेंगे – लेकिन परंपरा को ध्यान में रखते हुए, यह उचित और अपेक्षित ही था कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के किसी सदस्य को दिया जाएगा. यह उचित अनुरोध उस शासन द्वारा अस्वीकार्य पाया गया, जिसने, 17वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद को रिक्त ही रखा था.
ध्यान भटकाने के लिए उठाया इमरजेंसी का मुद्दा
इमरजेंसी को लेकर राज्यसभा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी ने आपातकाल का मुद्दा उठाया, आश्चर्यजनक रूप से अध्यक्ष ने भी यह मुद्दा उठाया , जिनका रुख सख्त निष्पक्षता के अलावा किसी भी सार्वजनिक राजनीतिक रुख से मेल नहीं खाता. संविधान, उसके मूलभूत सिद्धांतों और मूल्यों, उसके द्वारा बनाई गई और सशक्त की गई संस्थाओं पर हमले से ध्यान भटकाने का यह प्रयास संसद के सुचारू कामकाज के लिए अच्छा नहीं है.
Opposition: पेपर लीक पर चुप हैं मोदी
नीट पेपर लीक मामले पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इस घोटाले ने हमारे लाखों युवाओं के जीवन पर कहर बरपाया है. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जो ‘परीक्षा पे चर्चा’ करते हैं, लेकिन वे लीक पर स्पष्ट रूप से चुप हैं, जिसने देश भर में कई परिवारों को तबाह कर दिया है”.
मणिपुर को लेकर भी कही बात
राज्य सभा सांसद और पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने मई 2023 में राज्य में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से संघर्षग्रस्त मणिपुर का दौरा न करने को लेकर भी प्रधानमंत्री पर भी हमला बोला कहा कि कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष के कारण सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. गांधी ने लिखा, “इस सबसे संवेदनशील राज्य में सामाजिक सद्भाव खत्म हो गया है. फिर भी, प्रधानमंत्री को न तो राज्य का दौरा करने और न ही इसके राजनीतिक नेताओं से मिलने का समय मिला है और न ही इच्छा है.”
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भाजपा का जवाब और विपक्ष का पलटवार
सोनिया गांधी के संपादकीय पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस सांसद पर उनके “अहंकार” के लिए हमला किया और कहा कि उन्हें पीएम मोदी पर हमला करने से पहले अपने परिवार के अतीत को देखने की जरूरत है.
हालांकि, सोनिया गांधी को अपने इंडिया ब्लॉक सहयोगियों आरजेडी और शिवसेना (यूबीटी) से समर्थन मिला.
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि कांग्रेस नेता ने सरकार को आईना दिखाया है. झा ने कहा, “आज भी देश में आपातकाल है”. शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकसभा का परिणाम मोदी की “व्यक्तिगत हार” है. राउत ने कहा, “यही मोदी अपने दम पर 400 पार करने की बात कर रहे थे… राहुल गांधी को शहजादा कहते थे. लेकिन शहजादे ने आपको हरा दिया है. अब आप जुगाड़ करके ही सत्ता में हैं”.