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Pranab Mukherjee in memoirs : ‘…तो नरेंद्र मोदी 2014 में नहीं आते सत्ता में ? कांग्रेस ने यहां कर दी चूक’

Pranab Mukherjee’s memoirs : पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद उनका संस्मरण सामने आया है जिसमें उन्होंने कांग्रेस (Congress) को लेकर कई बातें उजागर की है. कुछ कांग्रेस पार्टी के सदस्यों का यह मानना था कि यदि 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव (2014 loksabha election,pm modi,congress vs bjp) में कांग्रेस को करारी हार का सामना नहीं करना पडता. बल्कि इस चुनाव में कांग्रेस अच्छा करती.Pranab Mukherjee attack on sonia gandhi,manmohan singh,rahul gandhi

पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद उनका संस्मरण (Pranab Mukherjee’s memoirs) सामने आया है जिसमें उन्होंने कांग्रेस को लेकर कई बातें उजागर की है. दिवंगत प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में लिखा है कि उनके सर्वोच्च संवैधानिक पद पर चुने जाने के बाद कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक चुकी थी. कुछ कांग्रेस पार्टी के सदस्यों का यह मानना था कि यदि 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (Sonia Gandhi ,manmohan singh, 2014 poll )को करारी हार का सामना नहीं करना पडता. बल्कि इस चुनाव में कांग्रेस अच्छा करती.

आपको बता दें कि मुखर्जी अपने निधन से पहले संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ को लिख चुके थे. रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जनवरी, 2021 से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी. यदि आपको याद हो तो उनका कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के करण गत 31 जुलाई को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.

प्रणब मुखर्जी के संस्मरण वाली पुस्तक में कांग्रेस के संदर्भ में उनकी टिप्पणी उस वक्त सामने आ रही है जब पार्टी आंतरिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. अपनी इस पुस्तक में मुखर्जी ने लिखा है कि कुछ कांग्रेस के सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस करारी हार वाली स्थिति में नहीं आती. हालांकि इस राय से मैं इत्तेफाक नहीं रखता. मैं यह मानता हूं कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक दिशा खो दी.

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आगे उन्होंने लिखा कि सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को संभालने में असमर्थ थीं, तो मनमोहन सिंह की सदन से लंबी अनुपस्थिति से सांसदों के साथ किसी भी व्यक्तिगत संपर्क पर विराम लग गया. मेरा मानना है कि शासन करने का नैतिक अधिकार प्रधानमंत्री के साथ निहित होता है. देश की संपूर्ण शासन व्यवस्था प्रधानमंत्री और उनके प्रशासन के कामकाज का प्रतिबिंब होती है. डॉक्टर सिंह गठबंधन को बचाने में ध्यानमग्न रहे जिसका शासन पर असर हुआ, जबकि नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में शासन की अधिनायकवादी शैली को अपनाए हुए प्रतीत हुए जो सरकार, विधायिका और न्यायपालिका के बीच तल्ख रिश्तों के जरिए दिखाई दी.

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इस पुस्तक की बात करें तो इसमें पश्चिम बंगाल के एक गांव में बिताए बचपन से लेकर राष्ट्रपति रहने तक उनके लंबे सफर पर रोशनी डाली गई है. रूपा प्रकाशन ने शुक्रवार को ऐलान किया कि मुखर्जी के संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ को जनवरी, 2021 में वैश्विक स्तर पर जारी किया जाएगा. मुखर्जी का कल जन्मदिवस भी था.

Posted By : Amitabh Kumar

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