नयी दिल्ली : प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल करने को लेकर अब अंतिम फैसला पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी लेंगी. पीके को पार्टी में शामिल करने के मुद्दे पर कांग्रेस बंटी हुई है क्योंकि कयास लगाये जा रहे हैं कि अगर किशोर पार्टी में शामिल होते हैं तो उन्हें असाधारण दर्जा मिल सकता है. पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिबल के आवास पर हुई बैठक में भी पीके के पार्टी में शामिल करने का विरोध हुआ था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पार्टी में विरोध को देखते हुए पीके पर अब सोनिया को अंतिम निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है. पता चला है कि पिछले साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में पूरी तरह से बदलाव की मांग करने वाले 23 नेताओं के समूह जी-23 ने प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने पर आपत्ति जतायी है. रिपोर्ट में कहा गया है सिबल के आवास पर भी जी-23 ने विरोध किया था.
हालांकि, कांग्रेस के कुछ नेता चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को शामिल करने के पक्ष में हैं, जिनके पास एक शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है. नवीनतम पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में उन्होंने बेहतरीन सफलता हासिल की है. जिस पार्टी के लिए उनकी कंपनी ने प्रचार किया उन पार्टियों ने राज्यों में सरकारें बनायी. ऐसा कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर की अध्यक्षता में कांग्रेस में एक अलग अभियान समिति होगी या वह वर्तमान व्यवस्था के तहत काम करेगा या नहीं, यह विवाद की जड़ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को किशोर के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं है क्योंकि उन्होंने अतीत में 2017 के यूपी चुनाव में एक साथ काम किया है जब कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में थी. गठबंधन नहीं चल पाया और इसीलिए कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का एक वर्ग प्रशांत किशोर की सफलता को विशिष्ट केस मानता है.
तृणमूल और द्रमुक के लिए प्रचार करने के बाद, प्रशांत किशोर ने घोषणा की कि वह उस काम को जारी नहीं रखना चाहते जो वह कर रहे हैं और तब से उनके बड़े राजनीतिक कदम की अटकलें लगायी जा रही हैं. प्रशांत किशोर पहले जद (यू) का हिस्सा थे और हाल ही में उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के सलाहकार का पद छोड़ दिया है.
Posted By: Amlesh Nandan.