जल्द ही अपने घर लौट सकेंगे प्रवासी मजदूर, रेलवे को राज्यों से मिली 1,000 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की अनुमति
अब जल्द ही देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर अपने घर वापस जा सकेंगे. (Indian Railways)भारतीय रेल को पिछले 15 दिन में प्रवासी कामगारों (Migrant Laborers) को घर पहुंचाने के लिए राज्यों से 1,000 से ज्यादा ट्रेनों के परिचालन की अनुमति मिली है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा संख्या में प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश लौटे हैं, वहीं अपने लोगों को वापस बुलाने में बिहार दूसरे नंबर पर है. आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने आठ, राजस्थान ने 23, झारखंड ने 50 और ओडिशा ने 52 ट्रेनों के परिचालन की अनुमति दी है.
नयी दिल्ली : अब जल्द ही देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर अपने घर वापस जा सकेंगे. भारतीय रेल को पिछले 15 दिन में प्रवासी कामगारों को घर पहुंचाने के लिए राज्यों से 1,000 से ज्यादा ट्रेनों के परिचालन की अनुमति मिली है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा संख्या में प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश लौटे हैं, वहीं अपने लोगों को वापस बुलाने में बिहार दूसरे नंबर पर है. आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने आठ, राजस्थान ने 23, झारखंड ने 50 और ओडिशा ने 52 ट्रेनों के परिचालन की अनुमति दी है. भारतीय रेल कोविड-19 लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके घर पहुंचाने के लिए एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रही है. रेलवे ने अभी तक 932 ट्रेनों के जरिये 12 लाख से ज्यादा प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया है.
मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुँचने के लिए हर दिन श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलायी जा रही हैं. श्रमिक स्पेशल ट्रेन से 14 मई तक 10 लाख मजदूरों को घर पहुंचाया जा चुका है. रेलवे के अनुसार 14 मई तक 800 श्रमिक स्पेशल ट्रेन का परिचालन किया गया. सबसे ज्यादा ट्रेन बिहार और उत्तर प्रदेश में चली हैं. रेलवे ने यह भी कहा है की श्रमिक स्पेशल ट्रेन से यात्रा कर रहे मजदूरों को मुफ्त भोजन और पानी की भी व्यवस्था रेलवे की ओर से की गई है.
इंडियन रेलवे की ओर से 14 मई को 145 श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं जिसमें 2 लाख 10 हजार यात्रियों को उनके गंतव्य तक ले जाया गया. रेल मंत्रालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है. बता दें, एक मई से अब तक रेलवे 800 से ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन कर चुकी है. जिसके जरिये 10 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया है. सबसे ज्यादा ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए चलाई गईं हैं.