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चीतों की मौत पर दक्षिण अफ्रीका ने भारत का किया बचाव, कहा- असामान्य नहीं है उनका मरना

दक्षिण अफ्रीका के वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि चीता सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीते को भारत के कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किए गए, जिनमें मादा चीते शामिल थे. इनमें से दो चीता की मौत हो गई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2023 9:32 PM

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों में से दो की मौत हो गई है. दो चीतों की मौत पर दक्षिण अफ्रीका ने भारतीय अभियान के समर्थन में कहा है कि चीतों का भारत में पुनर्वासन जोखिमभरा है और ऐसी स्थिति में उनकी मौत अपेक्षित थी. दक्षिण अफ्रीका के वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग (डीएफएफई) ने कहा कि मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों की मौत इस प्रकृति की एक परियोजना के लिए अपेक्षित मृत्यु दर के भीतर है.

अपेक्षित थी चीतों की मौत

दक्षिण अफ्रीका के वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि चीता सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीते को भारत के कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किए गए, जिनमें मादा चीते शामिल थे. इनमें से दो चीता की मौत हो गई. मरने वाले चीतों में एक नामीबिया और दूसरा दक्षिण अफ्रीका के थे. विभाग ने कहा कि आज तक देखा गया है कि इस परियोजना में प्राकृतिक बदलाव के कारण चीतों की मौत अपेक्षित थी.

चीतों का पुनर्वासन बेहद जटिल प्रक्रिया

बयान में आगे कहा गया है कि बड़े मांसाहारी जीवों का पुनर्वासन बेहद जटिल और स्वाभाविक रूप से जोखिम भरा है. यह परियोजना का एक महत्वपूर्ण चरण है और चीतों को बड़े वातावरण में छोड़ा जा रहा है, जहां उनकी दिन-प्रतिदिन नियंत्रण कम होता जा रहा है. बयान के अनुसार, चोट और मृत्यु दर के जोखिम बढ़ रहे होंगे और इन जोखिमों को पुनरुत्पादन योजना में शामिल किया गया है.

दिन में दो बार होती है चीतों की निगरानी

दक्षिण अफ्रीका के वानिकी, मत्स्यपालन एवं पर्यावरण विभाग ने यह भी कहा कि दक्षिण अफ्रीका सभी 11 चीते बड़े बाड़े में हैं. दिन में दो बार उनकी करीबी निगरानी की जाती है. वह जंगली चीते हैं. इस वजह से उनके बर्ताव, हाल-चाल और शरीर की स्थिति पर कुछ दूरी से निगरानी की जाती है, ताकि उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल की जाए. इन चीतों को अगले दो महीनों में खुले जंगल में छोड़ा जाएगा.

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दक्षिण अफ्रीका में भी चीतों की हुई थी मौत

विभाग की ओर से कहा गया है कि मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल की फेंसिंग नहीं हुई है और यहां तेंदुएं, भेड़िये, भालू और लकड़बग्घे भी हैं. अफ्रीका में भी जब चीतों को फिर से बसाया गया, तो पाया गया कि खुले जंगल में छोड़ने के एक साल के भीतर कई चीतों की मौत हो गई थी. कई चीते कूनो नेशनल पार्क की सीमा से बाहर भी निकलेंगे. उन्हें फिर से पकड़ा जाएगा, तो वे तनाव में भी रहेंगे. एक बार चीतों को अपनी सीमा की पहचान हो जाएगी, वे स्थिर हो जाएंगे.

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