Spain Girl Emotional Story : स्पेन से भारत पहुंची 21 वर्षीय स्नेहा अपनी बायोलॉजिकल मां की तलाश में यहां आई हैं, जिनसे वह 20 साल पहले अलग हो गई थीं. स्नेहा और उनके भाई को एक अनाथालय में छोड़ दिया गया था. अब स्नेहा अपनी जड़ों का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, समय उनके लिए बहुत कम है, क्योंकि उन्हें 6 जनवरी को स्पेन लौटना है. बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में रिसर्चर के रूप में काम करने वाली स्नेहा के लिए यह खोज बहुत मायने रखता है, लेकिन उन्हें अपनी मां के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.
स्नेहा के साथ इस यात्रा में उनकी स्पेनिश माता-पिता जेमा विडेल और जुआन जोस भी साथ दे रहे हैं. बायोलॉजिकल मां की तलाश में वे साथ दे रहे हैं. खासकर जेमा, स्नेहा के साथ उनके गृह राज्य ओडिशा आई हैं, ताकि वह अपनी मां को खोजने में मदद कर सकें. भारत आना स्नेहा के लिए भावनात्मक यात्रा भी है, जिससे वह अपनी असली पहचान और अतीत को समझने की गहरी कोशिश करने में लगीं हैं.
स्नेहा और उनके भाई सोमू को 2010 में भुवनेश्वर के एक अनाथालय से गोद लिया था. उन्हें 2005 में उनकी बायोलॉजिकल मां बनलता दास द्वारा छोड़ दिया गया था. स्नेहा और सोमू दोनों को उस समय अनाथालय में आश्रय दिया गया था. इस वक्त स्नेहा केवल एक साल की थी और उनका भाई कुछ महीने का था. स्नेहा की यात्रा का उद्देश्य अपने बायोलॉजिकल माता-पिता, विशेष रूप से अपनी मां को ढूंढना है.
स्नेहा ने कहा, ‘‘स्पेन से भुवनेश्वर तक की मेरी यात्रा का उद्देश्य मेरे बायोलॉजिकल माता-पिता, खासकर मेरी मां को ढूंढना है. मैं उन्हें ढूंढना चाहती हूं और उनसे मिलना चाहती हूं. मैं इस काम के लिए पूरी तरह तैयार हूं, भले ही यह कठिन हो.’’ भारत की यात्रा स्नेहा के लिए केवल एक शारीरिक यात्रा नहीं, बल्कि अपनी पहचान के साथ-साथ अतीत को फिर से जोड़ने की एक भावनात्मक यात्रा भी है.
स्नेहा ने कहा कि उनके स्पेनिश माता-पिता ने परवरिश में कोई कमी नहीं रखी. उन्होंने कभी भी यह महसूस नहीं होने दिया कि वे गोद लिए गए हैं. जेमा ने कहा, ‘‘हमें स्पेन वापस लौटना होगा, क्योंकि स्नेहा एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हो गई है. इसे रोका नहीं जाना चाहिए. हम मार्च में भुवनेश्वर वापस आएंगे.’’