Reservation: ST/SC/OBC आरक्षण को लेकर रार के मूड में कांग्रेस, खरगे के आवास पर AICC की बड़ी बैठक

Reservation: एससी/एसटी आरक्षण और कोटा के भीतर कोटा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने बड़ी रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में बड़ी बैठक की. AICC के कुछ सांसद और नेता मौजूद थे. कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी मौजूद थे.

By ArbindKumar Mishra | August 7, 2024 11:29 AM

Reservation: सुप्रीम कोर्ट के एससी/एसटी के क्रीमी लेयर वाले फैसले को लेकर उत्पन्न स्थिति पर रणनीति और रुख को लेकर AICC की बैठक मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, बैठक का विषय एससी/एसटी आरक्षण और कोटा के भीतर कोटा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला था. कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों से भी मुलाकात करेंगे. अगले कुछ दिनों में कांग्रेस इस फैसले पर फैसला करेगी. आज दो बातें बिल्कुल साफ थीं. जाति आधारित जनगणना जरूरी है. दूसरी बात, एसटी/एससी/ओबीसी आरक्षण पर 50% की सीमा हटाने के लिए संशोधन लाना.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज INDIA गठबंधन

1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी कैटगरी के अंदर उप वर्गीकरण और क्रीमिलेयर को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था. ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इंडिया गठबंधन नाराज है. संसद सत्र में भी इस मुद्दे पर बहस हुई और इसकी समीक्षा करने की बात कही गई. विपक्ष के नेताओं ने कहा, आरक्षण को बचाने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण प्रदान किया जा सके जो सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सात-सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत के निर्णय के जरिये ‘ई वी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार’ मामले में शीर्ष अदालत की पांच-सदस्यीय पीठ के 2014 के फैसले को खारिज कर दिया. जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों (एससी) के किसी उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि वे अपने आप में स्वजातीय समूह हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 140 पन्नों का फैसला सुनाया

चीफ जस्टिस ने अपने 140 पृष्ठ के फैसले में कहा, संविधान के अनुच्छेद 15 (धर्म, जाति, नस्ल, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव न करना) और 16 (सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता) के तहत सरकार अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए सामाजिक पिछड़ेपन की विभिन्न श्रेणियों की पहचान करने और नुकसान की स्थिति में विशेष प्रावधान (जैसे आरक्षण देने) के लिए स्वतंत्र है. अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए राज्य अनुसूचित जातियों को आगे वर्गीकृत कर सकता है यदि (ए) भेदभाव के लिए एक तर्कसंगत सिद्धांत है; और (बी) तर्कसंगत सिद्धांत का उप-वर्गीकरण के उद्देश्य के साथ संबंध है.

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