ब्लेमगेम : आईसीयू बेड और मेडिकल सुविधा बढ़ाने के फंड का 20% भी नहीं हुआ खर्च, केंद्र का राज्यों पर आरोप
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने रविवार को राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी, जिसमें उन्होंने ये बातें कही हैं.
नई दिल्ली : भारत में महामारी की तीसरी लहर शुरू होने और कोरोना के साथ-साथ ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामलों में बढ़ोतरी होने के साथ ही अब केंद्र और राज्य सरकारों के बीच ब्लेमगेम (आरोप-प्रत्यारोप का दौर) शुरू हो गया है. रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने देश में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकारों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गहन चिकित्सा बिस्तर (आईसीयू बेड) और मेडिकल सुविधाओं के लिए केंद्र की ओर से जारी की गई रकम का अभी तक 20 फीसदी भी खर्च नहीं किया गया है. केंद्र की ओर से इसके करीब 23,123 करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया गया था, जिसका 17 फीसदी से कुछ अधिक रकम ही खर्च हो पाई है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने रविवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का ध्यान इस ओर दिलाया कि सामूहिक रूप से उन्होंने 23,123 करोड़ रुपये के आपातकालीन कोविड प्रतिक्रिया पैकेज (ईसीआरपी-टू) के तहत उपलब्ध स्वीकृत फंड के केवल 17 फीसदी से अधिक का ही इस्तेमाल किया है. स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचा को दुरुस्त करने के लिए पिछले साल के अगस्त महीने में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस पैकेज को मंजूरी दी थी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने रविवार को राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी, जिसमें उन्होंने ये बातें कही हैं. यह समीक्षा बैठक ऐसे वक्त में आयोजित की गई, जब देश में कोरोना के 27 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए और सक्रिय मामलों की संख्या भी बढ़कर 1.22 लाख तक पहुंच गई. एक हफ्ते पहले यानी 26 दिसंबर को ही भारत में कोरोना के सिर्फ 6,531 मामले दर्ज किए गए थे और सक्रिय मामलों की संख्या भी सिर्फ 75 हजार 841 ही थे.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुरू में ही कहा कि विश्व स्तर पर देश अपने पहले के शीर्ष मामलों की तुलना में कोविड-19 मामलों में तीन से चार गुना वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं. ओमिक्रॉन वेरिएंट के अत्यधिक तेजी से फैलने के कारण कोविड मामलों में तेज वृद्धि चिकित्सा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है. इसलिए उन्होंने राज्यों को तेज वृद्धि पर नियंत्रण करने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ने की सलाह दी, जिससे कि भारत कोविड-19 के इस प्रकोप से सुरक्षित रह सके.