मजबूत रणनीति से काबू में किया जा सकता है कोरोना का घातक वेरिएंट डेल्टाक्रॉन, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

अब देश में 15-18 वर्ष के किशोरों के बाद 12 से 14 साल के बच्चों को भी सफलतापूर्वक टीका दिया जा रहा है. राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 16 मार्च से भारत में 12 से 14 आयु-वर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण की शुरुआत हो गई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2022 1:50 PM

नई दिल्ली : कोरोना के नए घातक वेरिएंट डेल्टाक्रॉन को लेकर पूरी दुनिया में एक बार फिर अलर्ट जारी कर दिया गया है. इसे लेकर भारत सरकार भी हरकत में आ गई है. डेल्टाक्रॉन से बचाव के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने युद्धस्तर पर रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है. नए वेरिएंट को लेकर सरकार सचेत तो जरूर है, लेकिन वह आर्थिक गतिविधियों और आम जनजीवन की दिनचर्या को बाधित नहीं करना चाहती. इस बीच, एक्सपर्ट भी पुराने अनुभवों के आधार पर सरकार और आम आदमी को अपनी राय देने लगे हैं. आइए, जानते हैं कि इससे बचाव और नियंत्रण को लेकर एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

टीकाकरण बचाव का सरल उपाय

नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कम्यूनिटी हेल्थ फैकल्टी के विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर राजीव दास गुप्ता कहते हैं कि कोरोना के किसी भी वेरिएंट से मजबूत रणनीति ही सुरक्षा कवच प्रदान कर सकती है. टीकाकरण इसके बचाव का सबसे सरल उपाय है. उन्होंने कहा कि भारत ने सफल कोरोना टीकाकरण अभियान चलाया है. अब तक कोविड-रोधी टीकों की 180 करोड़ से अधिक खुराकें लोगों को दी जा चुकी हैं. करीब 98 फीसदी वयस्क आबादी टीके की कम से कम एक खुराक लगवा चुकी है और 83 फीसदी का पूर्णत: टीकाकरण हो चुका है.

12 से 14 साल को लगाया जा रहा टीका

उन्होंने कहा कि अब देश में 15-18 वर्ष के किशोरों के बाद 12 से 14 साल के बच्चों को भी सफलतापूर्वक टीका दिया जा रहा है. राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 16 मार्च से भारत में 12 से 14 आयु-वर्ग के बच्चों के लिए टीकाकरण की शुरुआत हो गई. इसके साथ ही 60 वर्ष और इससे अधिक उम्र के लोगों के बूस्टर डोज के लिए सह-रुग्णता की शर्तों को भी हटा दिया गया है. ये तमाम प्रयास निश्चय ही भविष्य में कोरोना के आने वाले वेरिएंट (रूपों) के खिलाफ एक मजबूत रक्षा कवच बनाने का काम करेंगे.

भारत में वैश्विक रणनीति के तहत टीकाकरण

प्रोफेसर राजीव दास गुप्ता ने कहा कि भारत में चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण अभियान की शुरुआत वैश्विक रणनीति के मुताबिक हुई थी. उच्च जोखिम वाले सभी समूहों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सभी उम्र के उच्च जोखिम वाले लोगों (हालांकि, इनमें बच्चों और किशोरों को शामिल नहीं किया गया था) से लेकर सभी वयस्क आबादी और किशोरों को टीका लगाने की सिलसिलेवार शुरुआत हुई. इसी तरह, विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘स्ट्रेटजी डॉक्यूमेंट’ (रणनीति दस्तावेज) में जिन चार मूल्यों का जिक्र है, उन पर भी बराबर तवज्जो दी जा रही है. इनमें से पहला है, समानता, यानी तमाम व्यक्तियों, आबादी और देशों तक बिना किसी आर्थिक बाधा के टीके की समान पहुंच होनी चाहिए.

दुनिया की 90 फीसदी आबादी को मुफ्त टीकाकरण

आज विश्व की 90 फीसदी से अधिक आबादी को राष्ट्रीय और संघीय सरकारों द्वारा मुफ्त टीके दिए जा चुके हैं, जो किसी उल्लेखनीय सफलता से कम नहीं है. दूसरा मूल्य है, टीकाकरण में शामिल टीकों का गुणवत्ता के मामले में अंतरराष्ट्रीय मानकों (विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड) को पूरा करना. तीसरा मूल्य, टीकाकरण अभियान के साथ-साथ जांच, इलाज, सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक उपायों पर अमल करना और चौथा, समावेशी टीकाकरण, जो हाशिए के लोगों, वंचित तबकों और विस्थापित आबादी की जरूरतों को पूरा करे.

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कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ रही सरकार

उन्होंने कहा कि आगे की राह बहुत आसान नहीं है. कोरोना महामारी एक ‘स्वास्थ्य आपदा’ से ‘सुस्त तबाही’ में तब्दील होती जा रही है. नतीजतन सरकार का मुख्य ध्यान अब अर्थव्यवस्था, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं के पुनरुद्धार के साथ-साथ कोरोना के खिलाफ एक लंबी जंग की तरफ चला गया है. एक प्रकार से सरकार कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ रही है. वैसे, वैक्सीन को लेकर झिझक भी दिखाई देती है. 22 फरवरी को कोरोना रोधी टीके जितनी मात्रा में लोगों को दिए गए, वे जनवरी, 2022 की तुलना में आधे थे और पिछले नौ महीनों में सबसे कम.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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