INDORE NEWS : मध्य प्रदेश के शहर इंदौर की एक खबर की चर्चा पूरे देश में हो रही है. दरअसल यहां अंकसूची विवाद के चलते एक निजी फार्मेसी महाविद्यालय के पूर्व छात्र द्वारा पेट्रोल डालकर जलायी गयी 54 वर्षीय महिला प्राचार्य अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही हैं. अस्पताल के एक अधिकारी ने मंगलवार को इस बाबत जानकारी दी है.
इस बीच, महाविद्यालय प्रबंधन ने आरोपी को “आपराधिक प्रवृत्ति” का बताया और कहा कि वह अंकसूची विवाद में संस्थान के एक प्रोफेसर पर चाकू से हमले का चार महीने पुराना मामला वापस लेने के लिए प्राचार्य पर बेजा दबाव बना रहा था. शहर के चोइथराम अस्पताल के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि बीएम कॉलेज ऑफ फार्मेसी की प्राचार्य डॉ. विमुक्ता शर्मा (54) करीब 80 प्रतिशत झुलस चुकी हैं और उनकी बेहद गंभीर हालत में सुधार नहीं हो रहा है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि महाविद्यालय के पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव (24) ने शर्मा को सोमवार दोपहर उस वक्त पेट्रोल डालकर जला दिया था, जब वह संस्थान परिसर में लगे पेड़ से बिल्व पत्र (भगवान शिव को अर्पित किया जाने वाला पत्ता जिसे पूजा-पाठ के हिंदू विधान में पवित्र माना जाता है) तोड़ रही थीं. अधिकारियों ने बताया कि यह घटना उस वक्त हुई, जब महाविद्यालय की छुट्टी हो गयी थी और शर्मा अपने घर के लिए रवाना होने ही वाली थीं. उन्होंने बताया कि श्रीवास्तव को सोमवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था और प्राचार्य के बयान के आधार पर उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 307 (हत्या के प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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अधिकारियों ने आरोपी से पूछताछ के हवाले से बताया कि उसने बी. फार्मा. की परीक्षा जुलाई 2022 में उत्तीर्ण कर ली थी, लेकिन कई बार मांगे जाने के बावजूद महाविद्यालय प्रबंधन उसे उसकी अंकसूची नहीं दे रहा था. उधर, महाविद्यालय प्रबंधन ने आरोपी की इस बात को गलत करार दिया है. महाविद्यालय चलाने वाली पटेल एजुकेशन सोसायटी के सचिव राकेश शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,‘‘श्रीवास्तव की अंकसूची रोकने के मामले में हमारे महाविद्यालय की कोई भूमिका नहीं है. उत्तीर्ण छात्रों को अंकसूची जारी करने का काम भोपाल स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का है.’’
उन्होंने आरोप लगाया कि आपराधिक प्रवृत्ति के श्रीवास्तव ने अंकसूची विवाद में करीब चार महीने पहले महाविद्यालय के एक प्रोफेसर पर चाकू से हमला किया था जिसमें वह मामूली तौर पर घायल हो गए थे. शर्मा ने बताया कि इस मामले में श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया गया था और वह जमानत पर जेल से छूटा था. उन्होंने कहा कि श्रीवास्तव जेल से छूटने के बाद महाविद्यालय की महिला प्राचार्य और अन्य कर्मचारियों पर बेजा दबाव बना रहा था कि उसके खिलाफ चार महीने पहले दर्ज कराए गए मामले को वापस ले लिया जाए.
इस बीच, पुलिस अधीक्षक (देहात) भगवत सिंह विरदे ने बताया कि महाविद्यालय की प्राचार्य शर्मा पर पेट्रोल डालकर लगायी आग की जद में आकर खुद आरोपी भी करीब 25 प्रतिशत झुलस चुका है और गिरफ्तारी के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्होंने बताया कि इलाज के बाद आरोपी की हालत खतरे से बाहर है.