सुब्रमण्यम स्वामी का बड़ा खुलासा : महामारी की आड़ में चीन ने भारत-भूटान की जमीन पर किया अवैध कब्जा

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा ट्वीट किए गए लेख में लिखा गया है कि बीजिंग ने भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा में कई जगहों पर अपना नाम चिपका दिया है, जिस पर वह अवैध तरीके से दक्षिण तिब्बत का होने का दावा करता है. नवंबर 2020 के दौरान मीडिया में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए लेख में लिखा गया है कि चीन ने भूटान की दक्षिण-पश्चिमी सीमा के ठीक अंदर तोरसा नदी के किनारे पंगडा नामक एक गांव बसाया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2021 1:02 PM

नई दिल्ली : भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बहुत बड़ा खुलासा किया है। शनिवार को उन्होंने एक लेख को ट्वीट किया है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि पड़ोसी देश चीन ने महामारी के इस दौर में भारत और भूटान की जमीन पर कब्जा कर लिया है. साउथ एशिया मॉनिटर नामक वेबसाइट ने सेना से रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश कटोच के एक लेख को प्रकाशित किया है, जिसमें यह कहा गया है कि विदेशी जमीन पर कब्जा करने के लिए चीन एक प्रकार का युद्ध लड़ रहा है. इसके तहत वह अपने अवैध तरीके से किए गए दावों को मजबूती प्रदान करने के लिए झूठे रिकॉर्ड पर चीन का नाम शामिल कर रहा है.

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा ट्वीट किए गए लेख में लिखा गया है कि बीजिंग ने भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा में कई जगहों पर अपना नाम चिपका दिया है, जिस पर वह अवैध तरीके से दक्षिण तिब्बत का होने का दावा करता है. नवंबर 2020 के दौरान मीडिया में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए लेख में लिखा गया है कि चीन ने भूटान की दक्षिण-पश्चिमी सीमा के ठीक अंदर तोरसा नदी के किनारे पंगडा नामक एक गांव बसाया था.

लेख में उस फोटो का भी जिक्र किया गया है, जिसे सोशल मीडिया पर शेन शिवेई के एक सीनियर प्रोड्यूसर ने सीजीएनटी न्यूज के साथ डोकलाम इलाके में चीन द्वारा बसाए गए एक गांव की तस्वीर को पोस्ट किया गया था. हालांकि, इसके बाद डोकलाम क्षेत्र में बसाई गई उस बस्ती की सटीक जानकारी दी गई. हालांकि, बीजिंग और थिंपू दोनों ने इससे इनकार किया है.

महामारी को लेकर इस लेख में भी चर्चा की गई, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2015 से ही चीन सार्स वायरस को जैविक हथियार बनाने की फिराक में था. इसके बाद उसने बुनियादी चिकित्सा व्यवस्था को ध्वस्त करने वाले वायरस का इस्तेमाल कर जैविक हमला किया है. हालांकि, शुरुआती दौर में इसके संक्रमण से वह भी आक्रांत रहा, लेकिन बहुत ही कम समय में उसने खुद को संक्रमण से मुक्त कर लिया.

लेख में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि चीन ने दुनिया पर जैविक हमला करने के लिए सुनियोजित तरीके से योजना बनाई. सबसे पहले उसने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए वर्ष 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महासचिव के तौर पर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयस की नियुक्ति कराने में सफलता हासिल की. बाद में उसने वर्ष 2019 में वुहान वायरस के जरिए पूरी दुनिया में जैविक हमला कर दिया, जिसे उसने कोविड-19 करार दिया.

लेख में कहा गया है कि चीन के द्वारा वुहान वायरस के जरिए किए गए इस जैविक हमले से दुनिया के अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न प्रकार के म्यूटेशन सामने आने लगे, जिस पर बीजिंग का ध्यान हमेशा केंद्रित है. हालांकि, अपनी इन्हीं हरकतों की वजह से चीन की कलई अब खुलने लगी है और वह लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.

Also Read: कोरोना महामारी को लेकर चौतरफा घिर गया है चीन, वुहान के लैब से कैसे निकला वायरस? अब तसल्ली से होगी जांच

Posted by : Vishwat Sen

Next Article

Exit mobile version