सुखजिंदर रंधावा होंगे पंजाब के नये मुख्यमंत्री, नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी सुखी का ऐसा रहा है करियर
सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) उर्फ सुखी रंधावा के पिता संतोष सिंह दो बार पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. सुखी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका निभायी.
चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस के उपाध्यक्ष और कृषि मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) उर्फ सुखी रंधावा (Sukhi Randhava) अब कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amrinder Singh) की जगह पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है. नवजोत सिंह सिद्धू के बेहद करीबी माने जाने वाले सुखी रंधावा कट्टर कांग्रेसी के परिवार से हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में स्थापित करने में अहम भूमिका निभायी.
कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने की रणनीति बनाने वाले सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) उर्फ सुखी रंधावा के पिता संतोष सिंह दो बार पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. उन्होंने पंजाब में कांग्रेस को मजबूत करने में अहम भूमिका निभायी. सुखजिंदर सिंह रंधावा भी कट्टर कांग्रेसी हैं. उनकी खासियत यह है कि जन-आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं. बादल परिवार के खिलाफ लगातार आक्रामक हमले करते रहे हैं.
गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में प्रदर्शन के दौरान फायरिंग में दो युवकों की मौत हो गयी, तो रंधावा ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था. पंजाब की राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू को स्थापित करने के लिए सुखी रंधावा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था और अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास व्यक्त किया था.
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सुखी रंधावा ने 40 विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को भेजी थी और विधायक दल का बैठक बुलाने की मांग की थी. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने सरकारी आवास पर विधायकों और मंत्रियों की बैठक बुलायी. इसमें महज 28 विधायक और मंत्री पहुंचे. इसके बाद ही कैप्टन ने इस्तीफा देने का अंतिम फैसला किया.
इसलिए कैप्टन अमरिंदर से नाराज हैं सुखी रंधावा
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को सत्ता से बेदखल करने के लिए सुखी रंधावा ने ही पूरी रणनीति बनायी. उन्होंने ही कांग्रेस आलाकमान को चिट्ठी लिखकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ पार्टी के अंदर माहौल बनाया. कैप्टन अमरिंदर सिंह से रंधावा नाराज हैं, क्योंकि कैप्टन ने सुखविंदर सिंह बादल और उनके परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
हम कैप्टन साहब की इज्जत करते हैं – सुखी रंधावा
मुख्यमंत्री बनने से पहले सुखी रंधवा ने कहा कि हम सब कैप्टन साहब का ही चेहरा हैं. हम कैप्टन साहब के साथ चले. हम उनकी बहुत इज्जत करते हैं. परिवार में विवाद होते हैं, लेकिन फिर सभी लोग एकजुट हो जाते हैं. मैंने कैप्टन साहब को हमेशा पिता की तरह समझा. उन्होंने भी मुझे बेेट की तरह स्नेह दिया.
सिद्धू खेमे की मांग- कोई सिख हो पंजाब का सीएम
शनिवार को पंजाब कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, तो कई विधायकों और मंत्रियों ने कहा कि अगर कांग्रेस को किसी हिंदू को सीएम बनाना है, तो अंबिका सोनी अच्छा विकल्प हो सकती हैं. लेकिन, नवजोत सिंह सिद्धू खेमे के कई अन्य लोग प्रियंका गांधी के पास पहुंच गये और मांग की कि पंजाब एकमात्र सिख बहुल राज्य है. पंजाब का मुख्यमंत्री एक सिख ही होना चाहिए.
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अंबिका को सीएम बनाने की बात चल रही थी, लेकिन रविवार को उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चीफ मिनिस्टर बनने से इंकार कर दिया. इसके बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा को पंजाब का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया. उनके साथ दो उपमुख्यमंत्री बनाये जायेंगे. भारत भूषण आसू और अरुणा चौधरी को सुखी रंधावा का डिप्टी बनाया जायेगा.
Posted By: Mithilesh Jha