Odisha news, Rourkela news : राउरकेला (मुकेश सिन्हा) : ओडिशा (Odisha) के आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले (Sundergarh District) के कुतरा प्रखंड की बेटी अर्चना सोरेंग (Archana Soreng) दुनिया को जलवायु परिवर्तन के संकट से उबरने के उपाय बताएगी. अर्चना दुनिया भर से चुने गये उन 7 युवाओं में शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट के समाधान के लिए गठित सलाहकार समूह में नामित किया है. अर्चना की इस उपलब्धि ने सुंदरगढ़ जिले को एक बार फिर वैश्विक पटल पर सुर्खियों में ला दिया है.
पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयासों में अर्चना की सलाह शामिल होगी और बिगड़ते जलवायु संकट से निबटने में उसके दृष्टिकोण को पूरी दुनिया से साझा किया जायेगा. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने 28 जुलाई, 2020 को भारत की जलवायु कार्यकर्ता अर्चना को अपने नये सलाहकार समूह में नामित किया है. इस समूह में शामिल युवा नेता बिगड़ते जलवायु संकट से निबटने के लिए समाधान एवं दृष्टिकोण उपलब्ध करायेंगे.
अपनी इस उपलब्धि पर अर्चना सोरेंग ने कहा कि हमारे पूर्वज अपने पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं से युगों से जंगल और प्रकृति को बचा रहे हैं. अब हमारी बारी है कि हम जलवायु संकट से निबटने में अग्रिम मोर्चे पर काम करें. उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (Tata Institute of Social Sciences), मुंबई से पढ़ाई की है और टिस छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष रही हैं. 18 से 28 वर्ष के युवा कार्यकर्ता संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को बिगड़ते जलवायु संकट से निबटने के लिए वैश्विक कार्य एवं लक्ष्य को गति देने के लिए नियमित रूप से सलाह देंगे. वह अपनी इस उपलब्धि पर काफी खुश और रोमांचित है.
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अर्चना ने 2001 से 2011 तक सेंट जॉन मैरी वियनी स्कूल, कुतरा में प्रारंभिक पढ़ाई की है. राउरकेला के हमीरपुर स्थित कारमेल कान्वेंट स्कूल से इंटर किया है. पटना वीमेंस कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की. मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) से रेग्युलेटरी गवर्नेंस में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की. वह आदिवासी युवा चेतना मंच, अखिल भारतीय कैथोलिक विश्वविद्यालय महासंघ से जुड़ी रहने के साथ टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) के छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष भी रही हैं. ओड़िशा के सुंदरगढ़ जिले के कुतरा ब्लॉक अंतर्गत बिहाबंध गांव की मूल निवासी अर्चना खड़िया जनजाति समुदाय से है.
अर्चना के पिता स्वर्गीय विजय कुमार सोरेंग कुतरा स्थित गांगपुर कॉलेज ऑफ सोशल वर्क के प्राचार्य थे. 2017 में कैंसर से उनका निधन हो गया. मां ऊषा केरकेट्टा सेंट जॉन मैरी वियनी स्कूल में लाइब्रेरियन और स्पोर्ट्स टीचर हैं. उसके बड़े भाई यूजीन सोरेंग टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) से एमफिल कर रहे हैं.
अर्चना सोरेंग ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि फिलहाल वह रिसर्च अफसर के रूप में वसुंधरा में काम कर रही है. भविष्य में उसका लक्ष्य आदिवासियों के लिए होने वाले नीतिगत फैसलों में उनकी सहभागिता बढ़ाने की है. आदिवासियों के लिए क्या अच्छा हो सकता है, इसका निर्णय आदिवासी ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं. लिहाजा ज्यादा से ज्यादा आदिवासियों को इस प्रक्रिया में शामिल करने की जरूरत है. अर्चना को आदिवासी नृत्य, संगीत और भोजन में खासी दिलचस्पी है. उसका मानना है कि पर्यावरण से सर्वाधिक जुड़ा समुदाय आदिवासी है, जो पर्यावरण के साथ और पर्यावरण के लिए जीता है. आदिवासी संस्कृति की बातों को जीवनशैली में शामिल कर पर्यावरण संरक्षण की वैश्विक चुनौती से निपटा जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट के समाधान के लिए गठित सलाहकार समूह में अर्चना समेत 7 युवाओं को शामिल किया है. इसमें अर्चना सोरेंग (भारत), निसरीन एल्सीम (सूडान), अर्नेस्ट गिब्सन (फिजी), व्लादिस्लाव काइम (मोल्दोवा), सोफिया कियानी (संयुक्त राज्य), नाथन मेटेनियर (फ्रांस) और पालोमा कोस्टा (ब्राजील).
Posted By : Samir Ranjan.