तमिलनाडु के जोल्लारपेट्टई स्टेशन पर सुंदरगढ़ के एक मजदूर की मौत के बाद सुंदरगढ़ श्रम विभाग ने हाथ खड़े कर दिये. इधर, स्थानीय पुलिस की ओर से शव का अंतिम संस्कार करने के लिए रुपये मांगना चर्चा का विषय बना हुआ है. यह खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद श्रम विभाग की कुंभकर्णी नींद खुली. श्रम मंत्री शारदा नायक के निर्देश पर श्रम विभाग ने तमिलनाडु में मृत मजदूर के परिवार से संपर्क किया. अब वित्तीय सहायता देने के साथ शव का दाह संस्कार करने को लेकर रुपये मांगने की भी जांच होगी. इसे लेकर जिला श्रम अधिकारी ने कहा है कि परिवार को वहां से लाने की व्यवस्था की गयी है. परिवार के नाम पर एक श्रमिक कार्ड तैयार किया जायेगा और सुंदरगढ़ लौटने पर वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी. इधर, श्रम विभाग की ओर से मामले में त्वरित कदम नहीं उठाये जाने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
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जोलारपेट्टई स्टेशन के पास मिला था शव, पत्नी व बेटे की गुहार पर श्रम विभाग ने साध ली चुप्पी
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श्रमिक का पंजीकरण नहीं होने की बात कह सहयोग देने से किया था इंकार
ट्रांसपोर्ट कंपनी ने मांगे थे 90 हजार रुपये
मनोरंजन नायक की मौत के बाद मां-बेटा असहाय हो गये थे. उनके हाथ में टिकट और सिर्फ 2,000 रुपये थे. शव को सुंदरगढ़ लाने के लिए एक ट्रांसपोर्ट कंपनी ने 90 हजार रुपये की मांग की. कंपनी ने कहा कि वह कार्गो फ्लाइट का किराया एक लाख 20 हजार रुपये लेगी. चूंकि गरीब परिवार के लिए इतना पैसा जुटाना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने शव को वापस गांव नहीं ले जाने और वहीं अंतिम संस्कार करने का फैसला किया. लेकिन जब रेलवे पुलिस ने 12 हजार रुपये खर्च होने की बात कही, तो मां-बेटे चिंतित हो गये. इसके बाद परिवार ने सुंदरगढ़ श्रम विभाग से मदद मांगी. लेकिन श्रम विभाग ने इस तथ्य से मुंह मोड़ लिया. श्रमिक का पंजीकरण नहीं होने और तमिलनाडु सरकार के साथ कोई समझौता नहीं होने की बात कही.
चाय बागान में काम करने जा रहा था तमिलनाडु
सुंदरगढ़ जिले के सबडेगा ब्लॉक फगुआपाड़ा के श्रमिक मनोरंजन नायक छह अक्तूबर को पत्नी मुनुमती और बेटे विशाल के साथ तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर के चाय बागान में काम करने जा रहा था. वहां काम करने वाले सुंदरगढ़ के एक युवक ने उसे बताया था कि चाय बागान में काम करने पर उसे दैनिक मजदूरी के रूप में 600 रुपये मिलते हैं. सात अक्तूबर को तिरुपथुर जिले के जोलारपेट्टई स्टेशन पहुंचने के बाद वह बाथरूम गया और फिर वापस नहीं लौटा. पत्नी व बेटे ने सभी बोगियों की तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला. चेन खींची और रेल रोक कर खोजबनी की, तो उसका शव स्टेशन से कुछ ही दूरी पर ट्रैक के किनारे मिला. असावधानीवश ट्रेन से गिरने के कारण उसकी मौत होने की आशंका जतायी गयी है.
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आठ हजार रुपये देने के बाद रेलवे पुलिस ने किया अंतिम संस्कार
मां-बेटे ने आखिरकार सुंदरगढ़ के सामाजिक संस्थान के प्रमुख सिद्धांत पंडा को फोन किया और अपना दुख व्यक्त किया. इसके बाद पंडा ने जोलारपेट्टई रेलवे पुलिस से संपर्क किया. लेकिन रेलवे पुलिस इंस्पेक्टर के रविकुमार ने बेरोकटोक बताया कि आठ हजार रुपये दिये बिना दाह संस्कार नहीं किया जा सकता. बाद में संस्था के अशोक कुमार बरई, नीरज अग्रवाल और सिद्धांत पंडा ने आर्थिक रूप से समर्थन किया. रेल पुलिस इंस्पेक्टर के रविकुमार के खाते में आठ हजार रुपये भेजने के बाद गुरुवार को मृत मजदूर के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार किया गया. प्रवासी श्रमिकों के परिवारों के प्रति इस तरह के अमानवीय व्यवहार के लिए श्रम विभाग और तमिलनाडु पुलिस दोनों की व्यापक आलोचना हो रही है.
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