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केंद्र सरकार को 150 रुपये प्रति खुराक कोवैक्सीन की आपूर्ति लंबे समय तक टिकाऊ नहीं, भारत बायोटेक ने कहा- ‘यह गैर-प्रतिस्पर्धी मूल्य’

Bharat Biotech, Rs 150 per dose, Covaxin Supply, Central government : हैदराबाद : कोवैक्सीन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने मंगलवार को कहा है कि केंद्र सरकार को 150 रुपये प्रति खुराक की दर से आपूर्ति लंबे समय तक वहन करने योग्य नहीं है. भारत बायोटेक ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन की कीमतें 10 डॉलर से 37 डॉलर प्रति खुराक तक है. यानी 730 रुपये से 2700 रुपये प्रति खुराक के बीच भिन्न-भिन्न वैक्सीन उपलब्ध है.

हैदराबाद : कोवैक्सीन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने मंगलवार को कहा है कि केंद्र सरकार को 150 रुपये प्रति खुराक की दर से आपूर्ति लंबे समय तक वहन करने योग्य नहीं है. भारत बायोटेक ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन की कीमतें 10 डॉलर से 37 डॉलर प्रति खुराक तक है. यानी 730 रुपये से 2700 रुपये प्रति खुराक के बीच भिन्न-भिन्न वैक्सीन उपलब्ध है.

भारत बायोटेक ने कहा है कि ”भारत सरकार को 150 रुपये प्रति खुराक पर कोवैक्सीन का आपूर्ति मूल्य, एक गैर-प्रतिस्पर्धी मूल्य है और स्पष्ट रूप से लंबे समय में टिकाऊ नहीं है. इसलिए निजी बाजारों में लागत के हिस्से को ऑफसेट करने के लिए एक उच्च कीमत की जरूरत होती है.”

भारत बायोटेक ने उदाहरण देते हुए कहा है कि ऐसी मूल्य निर्धारण नीतियों का जीवंत उदाहरण है, जहां ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन की कीमत ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन्स इम्यूनिसेशन (जीएवीआई) आपूर्ति के लिए 4.5 डॉलर प्रति खुराक यानी 320 रुपये पर है. लेकिन निजी बाजार में यह 3500 रुपये प्रति खुराक पर भी उपलब्ध है.

भारत बायोटेक ने कहा है कि वैक्सीन का मूल्य निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है. इनमें माल और कच्चे माल की लागत, उत्पाद विफलता, जोखिम उत्पाद विकास परिव्यय, उत्पाद अधिकता, पर्याप्त विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए संपूर्ण पूंजीगत व्यय, बिक्री और वितरण व्यय, खरीद मात्रा और प्रतिबद्धताओं के अलावा अन्य नियमित व्यावसायिक व्यय शामिल हैं.

भारत बायोटेक ने कहा है कि कोवैक्सीन की लगभग 200 मिलियन खुराक के निर्माण के लिए करीब 10,000 वर्ग मीटर क्षेत्र की जरूरत होती है. इसकी तुलना में इतनी ही मात्रा में जीवित वायरस के वैक्सीन मात्र 1,500 वर्ग मीटर से निर्मित किये जा सकते हैं. जीवित सार्स-कोव-2 वायरस की अत्यधिक संक्रामक प्रकृति के कारण, विनिर्माण के लिए अधिक कठोर जैव सुरक्षा स्तर-3 (बीएसएल-3) नियंत्रण सुविधाओं की जरूरत है.

भारत बायोटेक ने कहा है कि निजी क्षेत्र के लिए वैक्सीन के मूल्य निर्धारण को लेकर भी चर्चा है. यह सरकारों और बड़ी खरीद एजेंसियों को दिये गये वैक्सीन की तुलना में काफी अधिक है. यह विशुद्ध रूप से मौलिक व्यावसायिक कारणों के कारण है. जैसे कम खरीद मात्रा, उच्च वितरण लागत और खुदरा मार्जिन से लेकर कुछ अन्य (जैसा ऊपर बताया गया है).

भारत सरकार के निर्देशानुसार, अब तक कोवैक्सीन के कुल उत्पादन का 10 फीसदी से भी कम निजी अस्पतालों को आपूर्ति की गयी है, जबकि शेष मात्रा की आपूर्ति राज्य और केंद्र सरकारों को की गयी थी. ऐसे में भारत बायोटेक द्वारा प्राप्त सभी आपूर्तियों के लिए कोवैक्सीन का भारित औसत मूल्य 250 रुपये प्रति खुराक से कम है. आगे चल कर, क्षमता का 75 फीसदी राज्य और केंद्र सरकारों को दिया जायेगा, केवल 25 फीसदी ही निजी अस्पतालों को दिया जायेगा.

भारत बायोटेक ने अब तक कोवैक्सीन के लिए उत्पाद विकास, नैदानिक ​​परीक्षण और विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से सार्स-कोव-2 वायरस, जानवरों के अध्ययन, वायरस लक्षण वर्णन, परीक्षण किट और नैदानिक ​​परीक्षण साइटों के लिए आंशिक धन के प्रावधान के संबंध में समर्थन था. भारत बायोटेक उत्पाद बिक्री के आधार पर आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को रॉयल्टी का भुगतान करेगा. वीरोवैक्स को आईएमडीजी एगोनिस्ट मॉलिक्यूल्स के लाइसेंस के लिए रॉयल्टी भी देय है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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