Pegasus Case: SC ने पेगासस जासूसी की बात को नकारा, 29 फोन में से 5 में मिला एक प्रकार का मालवेयर
पीठ ने बताया कि पैनल ने तीन हिस्सों में अपनी लंबी रिपोर्ट जमा की है और एक हिस्से में नागरिकों के निजता के अधिकार एवं देश की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन करने का सुझाव दिया है.
पेगासस स्वाइवेयर विवाद की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर नियुक्त तकनीकी एवं पर्यवेक्षी समितियों ने कहा कि केंद्र ने मामले की जांच में सहयोग नहीं किया. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने गुरुवार को कहा कि समिति को उन 29 फोन में से पांच में एक तरह का ‘मालवेयर’ मिला, जिनकी जांच की गई थी. न्यायालय अब इस मामले पर चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा.
तीन हिस्सों में पैनल ने सौंपी रिपोर्ट
शीर्ष न्यायालय की एक पीठ ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवींद्रन द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर गौर करने के बाद गुरुवार को कहा कि पैनल (समिति) ने यह बात भी कही है कि केंद्र ने पेगासस मामले की जांच में सहयोग नहीं किया. पीठ ने कहा कि पैनल ने तीन हिस्सों में अपनी लंबी रिपोर्ट सौंपी है और एक हिस्से में नागरिकों के निजता के अधिकार तथा देश की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है.
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29 फोन में से 5 में मिले मालवेयर
पीठ ने तकनीकी पैनल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि यह थोड़ी चिंताजनक है, क्योंकि जांच के लिए तकनीकी समिति के पास जमा किए गए 29 फोन में से पांच में कुछ तरह का मालवेयर पाया गया, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इसका कारण पेगासस है. पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में नागरिकों के निजता के अधिकार की सुरक्षा, भविष्य में उठाए जा सकने वाले कदमों, जवाबदेही, निजता की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कानून में संशोधन और शिकायत निवारण तंत्र पर सुझाव दिए गए हैं.
वेबसाइट पर अपलोड होगी रिपोर्ट
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ये तकनीकी मामले हैं. जहां तक न्यायमूर्ति रवींद्रन की रिपोर्ट की बात है, तो हम वेबसाइट पर इसे अपलोड करेंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राकेश द्विवेदी ने पीठ से वादियों के लिए संशोधित रिपोर्ट जारी करने की अपील की. रिपोर्ट का जिक्र करते हुए पीठ ने जब कहा कि केंद्र ने सहयोग नहीं किया, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. न्यायालय अब चार सप्ताह बाद इस विषय की सुनवाई करेगा.
पैनल में इन्हें किया गया था शामिल
पीठ ने नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की लक्षित निगरानी के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा इजराइली स्पाइवेयर के इस्तेमाल के आरोपों की जांच का पिछले साल 27 अक्टूबर को आदेश दिया था. पैनल में साइबर सुरक्षा, डिजिटल फोरेंसिक, नेटवर्क एवं हार्डवेयर के तीन विशेषज्ञों को शामिल किया गया. नवीन कुमार चौधरी, प्रभारन पी. और अश्विन अनिल गुमस्ते इस पैनल के सदस्य थे.