सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि उसने नीट परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षण का दावा करने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS)के लिए एक मापदंड के रूप में आठ लाख रुपये वार्षिक आय को कैसे तय किया? सुप्रीम कोर्ट ने यह मापदंड तय करने के पीछे के कारणों की व्याख्या करने को कहा.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से पूछा, आठ लाख आय को मापदंड बनाने के लिए आपने क्या जांच की या फिर आपने ओबीसी पर लागू होने वाले मापदंड को यहां भी आजमाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आय के मापदंड को पूरे देश के लिए एक समान नहीं माना जा सकता है क्योंकि मुंबई और बेंगलुरू जैसे शहर में रहने वाले व्यक्ति की सालाना आय और एक दूरस्थ गांव में रहने वाले व्यक्ति की आय में अंतर होता है.
कोर्ट ने केंद्र से यह सवाल उस याचिका की सुनवाई करते हुए पूछा है जिसमें 29 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था को चुनौती दी गयी है. केंद्र सरकार ने मेडिकल और डेंटल काॅलेजों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है, जिसका विरोध हो रहा है.
Posted By : Rajneesh Anand