घर खरीदारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि, घर खरीदार पर कोई भी बिल्डर्स एकतरफा करार नहीं थोप सकता. इसका मतलब अगर तय समय में बिल्डर्स घर बनाकर खरीदार को नहीं देता है तो बिल्डर्स को बिना किसी परेशानी के घर खरीदार को पूरे पैसे वापस करने होंगे.
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ दायर एक मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाते हुए कहा कि, बिल्डर्स एकतरफा करार घर खरीदारों पर नहीं थोप सकता है. यह उपभोक्ता कनून, 1986 के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला घर खरीदारों के लिए काफी अहम है. क्योंकि अक्सर घर खरीदार पूरे पैसे देने के बाद भी सालों घर बनने का इंतजार करके रहते हैं. लेकिन, उन्हें न तो घर का पोजिशन मिल पाता है और न ही पैसा वापस, एक तरह से घर खरीदने वालों का पैसा लंबे समय तक डूबा हुआ रहता है. ऐसे में कोर्ट का यह फैसला घर खरीदारों के लिए काफी राहत भरा है.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों को चार हफ्तों के भीतर ब्याज के साथ घर खरीदारों का पैसा वापस करने का आदेश दिया है. साथ ही बिल्डरों को 9 फीसदी ब्याज भी देना होगा. इसके बाद भी अगर कोई बिल्डर आनाकानी करता है तो उसे पूरी राशि 12 फीसदी ब्याज के साथ देना होगा. इससे पहले अगस्त में भी एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था बिल्डर्स को फ्लैट की डेलीवरी यानी पजेशन देने में देरी होने पर ग्राहकों को हर्जाना देना होगा.
गौरतलब है कि ताजा मामले में बिल्डर, घर खरीदार को दूसरे प्रोजेक्ट में घर देने की पेशकश कर रहा था. लेकिन, कोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बिल्डर खरीददार को यह बात मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. यह करार पूरी तरह एकतरफा है और पूरी तरह बिल्डर के पक्ष में है.
Posted by: Pritish Sahay