अदाणी-हिंडनबर्ग (Adani Hindenburg) मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है. अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को 2023 को रिपोर्ट जारी कर अदाणी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था और अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप लगाया था. विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर जमकर बवाल मचाया और जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो सर्वोच्च न्यायालय ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की थी. अब इस कमेटी की रिपोर्ट सामने आ चुकी है
अदाणी समूह पर लगे आरोपों की जांच के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति ने कहा कि शेयर की कीमतों में हेराफेरी के आरोपों की जांच में नियामकीय स्तर पर असफलता का निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है. विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 24 जनवरी को जब हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट पेश की, उसके बाद भारतीय शेयर बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं आया. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अदाणी की अगुवाई वाले समूह पर ‘शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. हालांकि समूह ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से आधारहीन बताया है.
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अदाणी समूह ने सभी लाभकारी मालिकों का खुलासा किया है. साथ ही ये भी कहा गया है कि सेबी ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया कि वे अडानी के लाभकारी मालिकों की घोषणा को खारिज कर रहे हैं. हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी की रिटेल हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है. रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि मौजूदा नियमों या कानूनों का प्रथम दृष्टया के स्तर पर किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं पाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सभी जांचों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की आवश्यकता है, पैनल वर्तमान में यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकता है कि कीमतों में हेरफेर के आरोप में नियामक की विफलता रही है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के बाजार नियामक ने समूहों की संस्थाओं के स्वामित्व के संबंध में अपनी जांच में निष्कर्ष पेश किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, अदाणी के शेयरों में अस्थिरता वास्तव में बहुत अधिक थी, जिसकी वजह हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और उसके परिणामों हैं.