नयी दिल्ली : कोरोना से मरने वाले शवों के रखरखाव मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. लोग शवों के साथ रहने पर मजबूर है. यह मामला काफी गंभीर है.
समाचार एजेंसी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में आज इस मगमले में सुनवाई हुई, जिसके बाद कोर्ट ने 17 जून तक सरकार से स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा. इसके अलावा कोर्ट ने महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की हालात पर चिंता जताई. इससे पहले, कोरोनावायरस के कारण होने वाली मौत के बाद शव के रखरखाव पर सरकारी लापारवाही के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया. कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई करने के लिए बैंच का गठन किया था.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बैंच आज इस मामले सुनवाई करेगी. कोर्ट ने दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में कोरोना से मरने के बाद लाशों के प्रति अस्पताल कि लापरवाही को देखते हुए इसपर संज्ञान लिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश- इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने लाशों के रखरखाव को लेकर सरकार और अस्पताल प्रबंधन को आदेश जारी कर चुका है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली सरकार जमीनी स्तर पर शवों का अंतिम संस्कार में किस तरह का कार्य कर रही है, इसको हम देखना चाहते हैं. बता दें कि कोर्ट ने 15 जून तक दिल्ली सरकार को हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया है.
पूर्व कानून मंत्री लिख चुके हैं पत्र- बता दें कि शवों के रखरखाव को लेकर पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार ने सीजेआई एसए बोबडे को पत्र लिख चुके हैं. कुमार ने अपने पत्र में कोर्ट से इस मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करने का आग्रह किया है. कुमार ने अपने पत्र में राइट टू डेथ के बारे में जिक्र करते हुए लिखा था कि अनुच्छेद 21 के तहत सभी नगरिकों को मरने के बाद अंतिम संस्कार का अधिकार होता है. लेकिन कोरोना संकट के दौरान अस्पताल प्रबंधन इसका पालन नहीं कर पा रहे हैं.
Posted By : Avinish Kumar Mishra