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Supreme Court: चुनाव चिन्ह आवंटन मामला वाले याचिका को SC ने किया खारिज, जानिए क्या कहा?

इस जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि राजनीतिक दलों को आवंटित किए जाने वाले अंकों को केंद्रीय चुनाव आयोग के दायरे से हटा दिया जाए और यह अधिकार रिटर्निंग ऑफिसर को स्थानांतरित कर दिया जाए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2022 1:57 PM
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Supreme Court: राजनीतिक दलों के लिए चुनाव चिन्हों के आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए याचिका खारिज कर दिया है. इस याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग को चुनाव चिन्ह आवंटित करने से रोक दिया जाए और रिटर्निंग ऑफिसर को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी की और कहा कि इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करके अदालत का बहुमूल्य समय बर्बाद किया गया. अदालत ने समय बर्बाद करने और भ्रामक याचिका दायर करने के लिए याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया.

जानिए क्या है पूरा मामला?

इस जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि राजनीतिक दलों को आवंटित किए जाने वाले अंकों को केंद्रीय चुनाव आयोग के दायरे से हटा दिया जाए और यह अधिकार रिटर्निंग ऑफिसर को स्थानांतरित कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए लिया. याचिका के वकील ने तर्क दिया कि सभी राजनीतिक दल भी चुनाव चिन्हों का दुरुपयोग कर रहे हैं और इसे रोका जाना चाहिए.

‘चुनाव प्रबंधन प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगा’

उन्होंने याद दिलाया कि इन अंकों को आवंटित करने की सभी शक्तियां वर्तमान में केंद्रीय चुनाव आयोग के पास हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव चिन्ह आवंटित करने का अधिकार चुनाव आयोग से हटाकर रिटर्निंग ऑफिसर को दे दिया जाना चाहिए. कहा जा रहा है कि इससे चुनाव प्रबंधन प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के शोषण पर भी अंकुश लगेगा.

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वकील के तर्क में कोई बल नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर ताजा दलीलें सुनीं. सुनवाई पीठ ने यह पाया कि याचिकाकर्ता के वकील के तर्क में कोई बल नहीं था. कोर्ट की ओर से यह कहा गया है कि वे उचित स्पष्टीकरण या सबूत नहीं दे सके कि दुर्व्यवहार कब और कहाँ होता है. न्यायाधीशों ने कहा कि यदि राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह आवंटित करने की शक्ति रिटर्निंग ऑफिसर को सौंप दी जाती है तो यह दुरुपयोग को रोकने के लिए उचित स्पष्टीकरण नहीं दे सकता है.

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