दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में जमानत दे दी है. इस मामले पर आदेश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने 6 अगस्त को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
मनीष सिसोदिया के वकील ने दी जानकारी
मनीष सिसौदिया के वकील ऋषिकेश कुमार कहते हैं, “कोर्ट ने कहा है कि अगर आपके पास सबूत हैं तो छेड़छाड़ का कोई मामला नहीं है. अगर आपने उसे रखा है तो इतने लंबे समय तक जेल में रहना जमानत के सिद्धांतों के खिलाफ है, चाहे वह ईडी का मामला हो या धारा 45, वहां जमानत का मुख्य नियम लागू होता है और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि मनीष सिसोदिया पहले ही 17 महीने जेल में रह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की सभी दलीलों को खारिज कर दिया और उन्हें जमानत दे दी. कोर्ट ने यह भी कहा है कि ईडी ने कोर्ट में जो बयान दिया है कि ट्रायल 6-8 महीने में खत्म हो जाएगा, ऐसा नहीं लगता.”
जानें किस शर्तों पर मनीष सिसोदिया को मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पासपोर्ट सरेंडर करने. हर सप्ताह के सोमवार को जांच अधिकारी को रिपोर्ट करने. इसी के साथ गवाहों को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करने की शर्त पर जमानत दी है.
दिल्ली सचिवालय जा सकेंगे मनीष सिसोदिया
मनीष सिसोदिया को जब सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी. तब ईडी के वकील ने अदालत से मांग की कि पूर्व मंत्री को दिल्ली सचिवालय जाने से रोकने की शर्त को भी आधार बनाकर जमानत दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस अपील को साफ मना कर दिया.