आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट 2 अगस्त से सुनवाई करेगा. आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से ज्यादा याचिका हैं. याचिकाओं पर सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच करेगी. जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी होंगे.
Supreme Court’s five-judge Constitution bench says hearing of a batch of pleas challenging the abrogation from of Article 370 from Jammu and Kashmir will start from August 2. pic.twitter.com/eTJ1oFw9SJ
— ANI (@ANI) July 11, 2023
आपको बताएं कि, केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था, जिसके बाद अक्टूबर 2020 से संविधान पीठ ही इस मामले की सुनवाई कर रही है. वहीं सुनवाई को लेकर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि मुझे उम्मीद है कि अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को न्याय मिलेगा. महबूबा मुफ्ती ने कहा था, आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह साफ हुआ कि इसे सिर्फ जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की सिफारिश पर ही रद्द किया जा सकता है.
इधर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 370 को लेकर कहा था, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने से उम्मीद जागी है कि हमसे छीने गए अधिकार वापस मिलेंगे. उन्होंने कहा कि, हम कानूनी प्रक्रिया के जरिए अपना अधिकार वापस चाहते हैं. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा.
वहीं आईएएस अधिकारी शाह फैसल और सामाजिक कार्यकर्ता शेहला रशीद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ अपनी याचिकाओं को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं और अदालत के रिकॉर्ड से अपना नाम हटाना चाहते हैं, अदालत ने याचिकाकर्ताओं के रूप में उनके नाम हटाने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है.
आपको बताएं की इससे पूर्व जम्मू कश्मीर में जल्द विधानसभ चुनाव कराने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ये कह कर खारिज कर दिया था कि, ‘पहले हम धारा 370 को हटाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे उसके बाद ही अन्य याचिकाओं पर विचार किया जाएगा’. अब सुनवाई की घड़ी नजदीक आ चुकी है और सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पर टिकी है.
17 अक्तूबर, 1949 को संविधान में शामिल, अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान से जम्मू-कश्मीर को छूट देता है और राज्य को अपने संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति देता है(केवल अनुच्छेद 1 और अनुच्छेद 370 को छोड़कर) . यह जम्मू और कश्मीर के संबंध में संसद की विधायी शक्तियों को प्रतिबंधित करता है. साथ ही ऐसा प्रावधान किया गया कि इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेस (IoA) में शामिल विषयों पर केंद्रीय कानून का विस्तार करने के लिये राज्य सरकार के साथ “परामर्श” की आवश्यकता होगी. यह तब तक के लिये एक अंतरिम व्यवस्था मानी गई थी जब तक कि सभी हितधारकों को शामिल करके कश्मीर मुद्दे का अंतिम समाधान हासिल नहीं कर लिया जाता. यह राज्य को स्वायत्तता प्रदान करता है और इसे अपने स्थायी निवासियों को कुछ विशेषाधिकार देने की अनुमति देता है.
Also Read: Explainer: क्या है धारा-370 का इतिहास, जिसे निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC करेगा सुनवाई