26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Supreme Court : वैवाहिक दुष्कर्म मामले में पति को मिली कानूनी छूट होगी खत्म? सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई आज

Supreme Court: वैवाहिक दुष्कर्म मामले में अहम सुनवाई आज होगी. पति को छूट देने वाले कानूनों के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा.

Supreme Court: क्या अपनी बालिग पत्नी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने वाले पति को दुष्कर्म के अपराध वाले मुकदमे से छूट मिलनी चाहिए? सुप्रीम कोर्ट इस जटिल कानूनी प्रश्न संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई आज करेगा. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को कहा कि ये याचिकाएं पहले ही मंगलवार के लिए सूचीबद्ध हैं. मामले में एक वादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने संबंधी अपील का उल्लेख किया.

याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की जरूरत: इंदिरा जयसिंह

इससे पहले, 18 सितंबर को एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है. कोर्ट इस विवादास्पद कानूनी प्रश्न से संबंधित याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर 16 जुलाई को सहमत हो गया था. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने संकेत दिया था कि इन याचिकाओं पर 18 जुलाई को सुनवाई हो सकती है. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद खंड के तहत किसी पुरुष द्वारा अपनी बालिग पत्नी के साथ यौन संसर्ग या यौन कृत्य दुष्कर्म नहीं है.

बीएनएस की धारा 63 (दुष्कर्म) के अपवाद-दो में क्या कहा गया?

भारतीय दंड संहिता को निरस्त कर दिया गया है और अब उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने ले ली है. बीएनएस की धारा 63 (दुष्कर्म) के अपवाद-दो में कहा गया है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौनाचार दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है, यदि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं है. शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी, 2023 को भारतीय दंड संहिता के संबंधित प्रावधान पर आपत्ति जताने वाली कई याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था, जिसके तहत बालिग पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाने के मामले में पति को अभियोजन से छूट प्राप्त है.

Read Also : Child Physical Abuse: स्कूल प्रिंसिपल ने किया 6 साल की बच्ची का मर्डर, कर रही थी यौन उत्पीड़न का विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को इस मुद्दे पर बीएनएस के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक समान याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था. नये आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, एक जुलाई से प्रभावी हुए हैं, जिन्होंने पुराने आपराधिक कानूनों का स्थान लिया है. पीठ ने कहा था, हमें वैवाहिक बलात्कार से संबंधित मामलों को सुलझाना है.

मुद्दे के कानूनी और सामाजिक निहितार्थ : केंद्र

इससे पहले, केंद्र ने कहा था कि इस मुद्दे के कानूनी और सामाजिक निहितार्थ हैं और सरकार इन याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करना चाहेगी. इनमें से एक याचिका इस मुद्दे पर 11 मई, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट के खंडित फैसले से संबंधित है. यह अपील एक महिला द्वारा दायर की गई है जो दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक थी.
(इनपुट पीटीआई)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें