Supreme court, congress china deal: कांग्रेस और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच बीजिंग में सात अगस्त 2008 को हुए समझौते को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पहले हाई कोर्ट जाने को कहा. याचिका में इस मामले की जांच सीबीआई और एनआईए द्वारा कराए जाने की मांग की गई थी. इसके साथ चीन के साथ कांग्रेस के करार पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सवाल उठा दिया.
शीर्ष अदालत ने चीन के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने पर तल्ख टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि चीन के साथ कोई राजनीतिक पार्टी किसी ‘एमओयू’ पर हस्ताक्षर कैसे कर सकती है? प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि किसी विदेशी सरकार ने एक राजनीतिक पार्टी के साथ कोई करार किया हो, यह बात उसने कभी नहीं सुनी.
Supreme Court declines to entertain a petition seeking NIA or CBI probe into an agreement signed between Congress & Communist Party Of China in Beijing on August 7, 2008.
The bench observed, "Never heard of a foreign government signing an agreement with a political party." pic.twitter.com/7jJVYF8XUD
— ANI (@ANI) August 7, 2020
कोर्ट ने इस एमओयू की जांच एनआईए अथवा सीबीआई से कराने की मांग वाली अर्जी सुनने से इंकार कर दिया. बता दें कि हाल ही में चीन के साथ विवाद के बीच कांग्रेस पार्टी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए समझौते की बात सामने आई थी. इसे लेकर भाजपा ने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला था. ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.
इसी पर आज जब सुनवाई हुई तो सीजेआई ने कहा कि कुछ चीज़ें कानून में बिल्कुल अलग हैं. एक राजनीतिक दल कैसे चीन के साथ समझौते में शामिल हो सकता है? हमने कभी नहीं सुना कि किसी सरकार और दूसरे देश की राजनीतिक पार्टी में समझौता हो रहा हो.
Posted By: Utpal kant