17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिना अदालत गए अपने जमीन से कैसे हटाएं अवैध कब्जा? सुप्रीम कोर्ट ने बताया

Supreme Court: आइए जानतें है बिना कोर्ट गए कैसे अपने जमीन से अवैध कब्जा खाली करा सकते है?

Supreme Court: घर या जमीन खरीदना हर किसी का सपना होता है, इसके लिए लोग अपनी जिंदगी की सारी जमा-पूंजी लगा देते हैं. प्रॉपर्टी में निवेश को सबसे सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इसे पैसे या गहनों की तरह चोरी नहीं किया जा सकता. हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि जमीन या मकान पर अवैध कब्जा (illegal occupation of land or house) हो जाता है, जिससे लोग बेहद परेशान हो जाते हैं और उन्हें यह समझ नहीं आता कि क्या कदम उठाएं. पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मामलों में तेजी आई है, और प्रॉपर्टी विवादों (Property disputes) से जुड़े कई मामले अदालतों में लंबित हैं, जिन पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है. लेकिन अगर आपकी जमीन या घर पर किसी ने कब्जा कर लिया है, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. अब आप बिना कोर्ट गए और बिना कानूनी सहायता के भी अपनी प्रॉपर्टी से अवैध कब्जा (Illegal occupation can be removed from property) हटा सकते हैं.

जमीन के अवैध कब्जे पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला (What is Supreme Court decision on illegal occupation of land)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से संबंधित एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें बताया गया है कि आप अपनी प्रॉपर्टी से कब्जाधारी को बिना अदालत की मदद के कैसे हटा सकते हैं. पूनाराम बनाम मोती राम मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति किसी अन्य की संपत्ति पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा नहीं कर सकता. यदि कोई किसी की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लेता है, तो पीड़ित पक्ष स्वयं कानूनी प्रावधान के अनुसार या फिर शासकीय सहयोग से या न्यायिक हस्तक्षेप करके उस कब्जे को हटा सकता है. हालांकि, यह आवश्यक है कि आप उस प्रॉपर्टी के वैध मालिक हों और उसकी टाइटल आपके नाम पर हो.

इसे भी पढ़ें: पिता की संपत्ति में बेटियों का कितना मालिकाना हक? प्रॉपर्टी पर कब नहीं कर सकती दावा 

पूना राम बनाम मोती राम (Poona Ram vs Moti Ram land dispute) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि आपके पास प्रॉपर्टी का टाइटल (Title of the property) है, तो आप 12 साल बाद भी शासकीय सहयोग से अपनी प्रॉपर्टी से कब्जा (You can forcefully remove possession from your property) हटवा सकते हैं. इसके लिए आपको अदालत में मुकदमा दायर करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन यदि प्रॉपर्टी का टाइटल आपके नाम पर नहीं है और कब्जा 12 साल से अधिक समय से है, तो आपको अदालत में केस करना होगा. इस तरह के मामलों के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 (Specific Relief Act 1963) बनाया गया है. प्रॉपर्टी से अवैध कब्जा हटाने के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट (Section 5 of the Specific Relief Act provides for removal of illegal occupation from property) की धारा 5 में प्रावधान किया गया है. हालांकि, प्रॉपर्टी विवाद (Property Disputes) के मामले में पहले स्टे प्राप्त करना चाहिए, ताकि कब्जा करने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी पर कोई निर्माण न कर सके या उसे बेच न सके.

इसे भी पढ़ें: High Court: मौत के बाद भी बच्चा कर सकते है पैदा, दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 क्या है? (What is Section 5 of the Specific Relief Act)

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के अनुसार, यदि आपके पास प्रॉपर्टी का टाइटल है और किसी ने उस पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, तो आप उसे खाली कराने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के तहत अदालत में मुकदमा दायर कर सकते हैं.

जानिए क्या है जमीन पर अवैध कब्जे का पूरा मामला (what is whole matter of illegal occupation of land)

यह मामला राजस्थान के बाड़मेर जिले के पूना राम से जुड़ा हुआ है, जिसने 1966 में एक जागीरदार से कई अलग-अलग जगहों पर जमीन खरीदी थी. जब पूना राम ने जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया, तो उसे पता चला कि उस जमीन पर मोती राम नामक व्यक्ति का कब्जा है, हालांकि मोती राम के पास जमीन के कोई कानूनी दस्तावेज नहीं थे. इस पर पूना राम ने कब्जा छुड़ाने के लिए कोर्ट में केस दायर किया. ट्रायल कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मोती राम को जमीन खाली करने का आदेश दिया. लेकिन मोती राम ने इस फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में अपील की, जहां हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए मोती राम के कब्जे को वैध ठहराया. इसके बाद पूना राम ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की.

सुप्रीम कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए कहा कि जिस व्यक्ति के पास जमीन का टाइटल है, वह शासकीय सहयोग से कब्जा छुड़वा सकता है, भले ही कब्जा 12 साल पुराना ही क्यों न हो. मोती राम ने तर्क दिया था कि उसका 12 साल से ज्यादा समय से जमीन पर कब्जा है और लिमिटेशन एक्ट की धारा 64 (Section 64 of the Limitation Act) के अनुसार, ऐसे मामलों में कब्जा नहीं हटाया जा सकता. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह कानून सिर्फ उन जमीनों पर लागू होता है जिनका कोई मालिक नहीं होता. जबकि, अगर जमीन का मालिक मौजूद है और उसके पास टाइटल है, तो 12 साल बाद भी कब्जा हटवाया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें: High Court: पत्नी के नाम खरीदी गई संपत्ति का मालिक कौन? जानिए हाई कोर्ट फैसला

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें