सुप्रीम कोर्ट ने आज सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवासों के निर्माण के लिए सेंट्रल विस्टा में एक सार्वजनिक मनोरंजन स्थल को आवासीय क्षेत्र में बदलने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की और इस मामले में केंद्र से जवाब मांगा.
भूखंड नंबर एक के भूमि उपयोग को मनोरंजन क्षेत्र से आवासीय क्षेत्र में बदलने को चुनौती देने वाली याचिका जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी थी.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट अपने निर्माण काल से ही विवादों में रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इसपर सवाल उठाये गये . कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो इस प्रोजेक्ट की जमकर आलोचना की थी और इसे गैरजरूरी भी बताया था.
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पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. सितंबर 2019 में घोषित सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाले संसद भवन की परिकल्पना की गई है, जिसका निर्माण अगस्त, 2022 तक पूरा होना है.
इस प्रोजेक्ट के तहत 2024 तक साझा केंद्रीय सचिवालय का निर्माण होने की संभावना है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि जहां तक मनोरंजन क्षेत्र को आवासीय में बदलने का संबंध है, अधिकारियों ने कोई जनहित नहीं दिखाया है.
Posted By : Rajneesh Anand