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‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Supreme Court on freebies Ladli Behna Yojana : दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों की जमकर आलोचना की है. कोर्ट ने कहा, राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए पैसे हैं, जजों की सैलरी और पेंशन के लिए नहीं है.

Supreme Court on freebies Ladli Behna Yojana : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकारों को मुफ्त की सौगात बांटने को लेकर जमकर आलोचना की. कोर्ट ने कहा – राज्यों के पास उन लोगों को ‘मुफ्त सौगात’ देने के लिए पर्याप्त धन है जो कोई काम नहीं करते. जब जजों की सैलरी और पेंशन देने की बात आती है तो वे वित्तीय बाधाओं की बात करते हैं. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने दलील दी कि सरकार को जजों के वेतन और पेंशन पर निर्णय लेते समय वित्तीय बाधाओं पर विचार करना होगा.

चुनाव आते ही 2500 रुपये देने का वादा करते हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘राज्य के पास उन लोगों के लिए पैसा है जो कोई काम नहीं करते. चुनाव आते ही, लाडली बहना और अन्य नयी योजनाएं घोषित करते हैं. दिल्ली में अब आए दिन कोई न कोई पार्टी घोषणा कर रही है कि वे सत्ता में आने पर 2500 रुपये देंगे.’’

जजों को मिलती हैं 10 से 15 हजार रुपये पेंशन: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि यह दयनीय है कि हाई कोर्ट के कुछ सेवानिवृत्त जजों को 10000 रुपये से 15000 रुपये के बीच पेंशन मिल रही है.

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