Supreme Court : वोट के बदले नोट मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है. सात जजों की बेंच ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए पिछले फैसले को पलट दिया है. अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सदन में वोट के बदले नोट मामले में छूट नहीं मिलेगी. ऐसे में अब यह साफ हो चुका है कि इस मामले में सांसदों/विधायकों को नहीं राहत मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट तय किया कि सदन में वोट के लिए रिश्वत में शामिल सांसदों/विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई से छूट नहीं दी जाएगी.
Supreme Court : सभी जजों का फैसला एकमत
जानकारी हो कि CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस पर फैसला सुनाया है. खबरों की मानें तो इस मामले पर सभी जजों का फैसला एकमत था. जानकारी हो कि 5 अक्टूबर 2023 को सात जजों के संविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. दो दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था.
‘घूसखोरी में छूट नहीं दी जा सकती’, CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी को घूसखोरी में छूट नहीं दी जा सकती है. घुस लेने पर कोई विशेषाधिकार नहीं मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वोट के बदले नोट लेने वालों पर केस चलना चाहिए. जानकारी हो कि 1993 में नरसिम्हा राव सरकार के समर्थन में वोट करने के लिए सांसदों को घूस दिए जाने का आरोप लगा था। इस पर 1998 में 5 जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से फैसला दिया था कि संसद में जो भी कार्य सांसद करते हैं, यह उनके विशेषाधिकार में आता है. लएकिन अब यह फैसला बदल दिया गया है.