Supreme Court: आम लोग भी देख सकते हैं सुप्रीम कोर्ट के अंदर का नजारा, लाइब्रेरी से लेकर कोर्टरूम तक है शानदार

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आम लोगों के लिए एक बार फिर गाइडेड टूर की अनुमति दी है. इसके तहत लोग सुप्रीम कोर्ट भवन के अंदर का नजारा देख सकते हैं. आम लोग दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर प्रत्येक शनिवार को सुप्रीम कोर्ट को अंदर से देख सकते हैं.

By Pritish Sahay | January 10, 2025 8:27 PM

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने अपने परिसर और कोर्ट के दरवाजे आम लोगों के लिए खोल दिए हैं. आम लोग भी अब सुप्रीम कोर्ट को अंदर से देख सकते हैं. अब सामान्य लोग हर वर्किंग सैटरडे को गाइडेड टूर के जरिए सुप्रीम कोर्ट के अंदरूनी हिस्सों को देख सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट को देखने के इच्छुक लोगों को इसके लिए पहले बुकिंग करानी होगी. लोगों को सुप्रीम कोर्ट भवन के विभिन्न हिस्सों में ले जाया जाएगा. इसके तहत न्यायालय कमरा, राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार के साथ-साथ हालिया बने न्यायाधीशों के पुस्तकालय को भी आम लोग देख सकते हैं.

आम लोग देख सकते हैं सुप्रीम कोर्ट के अंदर का दृश्य

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार महेश टी. पाटनकर की ओर से जारी एक सर्कुलर जारी किया गया है. इस सर्कुलर में कहा गया है कि ‘‘सक्षम प्राधिकारी के निर्देशों के अनुसरण में ‘गाइडेड टूर’ हर कार्यदिवस शनिवार को आयोजित किया जाएगा, यानी आम लोग दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर बाकी के शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाकर वहां का नजारा देख सकते हैं. यह टूर के लिए समय सुबह 10 से साढ़े 11 बजे, साढ़े 11 बजे से 1 बजे, फिर दोपहर 2 से साढ़े 3 बजे और साढ़े 3 से 5 बजे तक होगा.

करनी होगी ऑनलाइन बुकिंग

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार कहा कि ‘गाइडेड टूर’ के दौरान अधिकारी जनता से बातचीत करेंगे और उन्हें ऐतिहासिक महत्व के विभिन्न खंडों से परिचित कराएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि ‘कोई भी आगंतुक पहले से ऑनलाइन बुकिंग कराकर पूर्वनिर्धारित यात्रा की व्यवस्था कर सकता है.’ आगंतुकों को पूरे परिसर में घुमाया जाएगा और ऐतिहासिक महत्व के हिस्सों से परिचित कराया जाएगा तथा उन्हें न्यायालय कक्ष देखने का भी मौका मिलेगा.

साल 2018 में हुआ था गाइडेड टूर

इससे पहले साल 2018 के नवंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट में पहला ‘गाइडेड टूर’ हुआ था और अब तक ऐसे 296 ‘गाइडेड टूर’ हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट भवन का निर्माण 1958 में हुआ था, इसकी आधारशिला भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1954 में रखी थी.

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