‘लॉकडाउन के दौरान पूरी फीस नहीं ले सकते स्कूल और न ही रोका जाएगा 10वीं-12वीं का रिजल्ट’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में देशभर के प्राइवटे स्कूलों को आदेश दिया है कि लॉकडाउन के दौरान वे छात्रों से पूरी फीस नहीं वसूल सकते हैं. इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा है कि फीस का भुगतान नहीं करने की स्थिति में 10वीं-12वीं के किसी छात्र का रिजल्ट भी नहीं रोका जाएगा और न ही उन्हें कोई परीक्षा में बैठने से रोक सकता है. अदालत ने कहा है कि जो अभिभावक फीस का भुगतान करने में आर्थिक तौर पर सक्षम नहीं हैं, उनकी फीस माफी पर भी स्कूलों को विचार करना होगा.
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में देशभर के प्राइवटे स्कूलों को आदेश दिया है कि लॉकडाउन के दौरान वे छात्रों से पूरी फीस नहीं वसूल सकते हैं. इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा है कि फीस का भुगतान नहीं करने की स्थिति में 10वीं-12वीं के किसी छात्र का रिजल्ट भी नहीं रोका जाएगा और न ही उन्हें कोई परीक्षा में बैठने से रोक सकता है. अदालत ने कहा है कि जो अभिभावक फीस का भुगतान करने में आर्थिक तौर पर सक्षम नहीं हैं, उनकी फीस माफी पर भी स्कूलों को विचार करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि स्कूल सत्र 2020-21 के लिए वार्षिक फीस ले सकते हैं, लेकिन इसमें भी उन्हें 15 फीसदी की रियायत देनी होगी, क्योंकि छात्रों ने स्कूलों से वह सारी सुविधाएं नहीं ली हैं, जो वे स्कूल आने पर लेते थे. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि स्कूल अभिभावकों से बकाया फीसदी 5 अगस्त से 6 किस्तों में वसूल करें और फीस नहीं देने या भुगतान में देर होने पर 10वीं और 12वीं का रिजल्ट नहीं रोका जाएगा तथा न ही छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका जा सकता है.
इतना ही नहीं, अदालत ने स्कूलों से यह भी कहा है कि यदि कोई अभिभावक फीसदी का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है, तो स्कूल उनके मामलों पर गंभीरता से विचार करेंगे और उनके बच्चों का रिजल्ट नहीं रोकेंगे. पीठ ने यह भी माना है कि यह आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इसमें यह कहीं भी नहीं है कि सरकार महामारी की रोकथाम के लिए शुल्क और फीस या अनुबंध में कटौती करने का आदेश दे सकती है. इस अधिनियम में प्राधिकरण का आपदा के प्रसार की रोकथाम के उपाय करने के लिए अधिकृत किया गया है.
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलों ने बिजली, पानी, पेट्रोल-डीजल, स्टेशनरी, रखरखाव और खेलकूद के सामानों के पैसे बचाएं हैं. ये बचत करीब 15 फीसदी के आसपास बैठती है. ऐसे में, छात्रों से इन सबका पैसा वसूलना शिक्षा का व्यवसायीकरण करने जैसा होगा.
Posted by : Vishwat Sen